Deoghar: अक्सर देखा जाता है कि तेज रफ्तार के साथ-साथ साइलेंसर निकाल कर दो पहिया वाहनों को सड़क पर दौड़ाया जाता है। अचानक से कभी ऐसे दो पहिया वाहन बगल से गुजर जाए तो एक दहशत-सा बन जाता है। खासकर युवाओं ने शौक के लिए अपनी दो पहिया वाहन बुलेट सहित अन्य हाई स्पीड रेस वाली बाइकों में ऐसा करते है। ऐसी गाड़ियों की आवाज दूर-दूर तक सुनाई देती है और इसे चलाने वाले युवा अपनी शान मानते है। लेकिन अब ऐसा करना महंगा पड़ेगा।
दो पहिया वाहन का लाइसेंस निकालकर या गाड़ी का साउंड बढ़ाने वालों वाहन चालक के खिलाफ यातायात पुलिस एफआइआइ दर्ज कर कार्रवाई करेगी। यातायात पुलिस डेसीबल मीटर से वाहनों की जांच करेगी। साउंड तय मानक से अधिक पाया गया तो ध्वनि प्रदूषण, यातायात नियम का उल्लंघन सहित अन्य कई धाराओं के तहत मामला दर्ज कार्रवाई करेगी। यातायात पुलिस इस मशीन को लाइसेंस में लगाकर साउंड का माप करेगी। जांच के दौरान मशीन से प्रिंट निकलेगा, जो यह बताएगा कि गाड़ी का साउंड मापदंड के अनुरूप है या नहीं । इसी आधार पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
क्या है डेसीबल मीटर
डेसीबल मीटर ध्वनि को पकड़ने वाला एक डिवाइस है। इस मशीन में लगे माइक्रोफोन की मदद से ध्वनि का मूल्यांकन किया जाता है। 80 डेसीबल से अधिक आवाज को खतरनाक माना गया है। इससे ऊपर की आवाज को ध्वनि प्रदूषण माना जाता है।