Deoghar: लखराज जमीन का हस्तांतरण व निबंधन की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे पंडा धर्मरक्षणी सभा के महामंत्री कार्तिक नाथ ठाकुर द्वारा सोमवार से देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर में प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मचारियों के प्रशासनिक कार्य पर रोक लगाने के ऐलान के बाद कार्तिक नाथ ठाकुर और देवघर डीसी मंजूनाथ भजंत्री आमने-सामने नजर आ रहे हैं। भजंत्री ने कार्तिक नाथ के इस ऐलान को गुंडों की तरह की बयानबाजी बताते हुए कहा है कि हजारों की संख्या में मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा प्रशासन की प्राथमिकता में शामिल है। इस तरह के बयान के बाद सुरक्षा पर हुई जरा भी चूक की जवाबदेही कौन लेगा?
दरअसल, आमरण-अनशन पर बैठे महामंत्री कार्तिकनाथ ठाकुर ने ये घोषणा की है कि जबतक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती है तबतक कोई प्रशासनिक अधिकारी चाहे मंदिर का प्रभारी हो या उप प्रभारी, प्रबन्धक हो या उप प्रबन्धक या कोई भी कर्मचारी हो, उसे बाबा मंदिर में प्रशासनिक कार्य के लिए प्रवेश निषेध है। अगर वो बाबा की पूजा करना चाहे तो आम यात्री की तरह पूजा कर सकते हैं। वीआईपी पूजा भी नहीं करने दिया जाएगा और शीघ्रदर्शनम भी बंद रहेगा।
कार्तिकनाथ ठाकुर के इस ऐलान को देवघर डीसी ने गलत करार दिया है।
देवघर डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने अपना बयान जारी करते हुए कहा है कि “कोई भी समस्या का हल संविधान के घेरे में रहकर निकाला जाता हैं। इस तरह गुंडे और अपराधियों की तरफ़ बयान बाज़ी और लोगों को उकसाके क़ानून के ख़िलाफ़ काम नहीं किया जाता। यहा रोज़ हज़ारो, लाखों संख्या में देश विदेश से श्रद्धालु द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ की दर्शन पूजा के लिए आते हैं। इनकी सुरक्षा प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता एवं ज़िम्मेदारी हैं॥ इस तरह कि बयान से श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर परिणाम पड़ा हैं। इसके लिए कौन जवाबदेह हैं?
इस तरह की भाषा एक ब्राह्मण समाज को प्रतिनिधित्व करनेवाले से उम्मीद नहीं किया जाता। अत्यंत दुख की बात।ज़िले के तमाम उच्च पदाधिकारियों को, झूठा खबर भिजवाकर की अनशन तोड़ने वाले हैं, बुलाके अनेक बार घंटों पदाधिकारियों को बेइज्जत किया गया।
अभी सूचना मिल रही हैं कि भट्टर धर्मशाला न्यास बोर्ड की संपत्ति हैं। तब यह व्यक्ति अपनी ५ करोड़ पैसे कि गलती के लिये, प्रशासन के साथ गुंडागर्दी पे उतर जाना, कितना जायज़ हैं? इसके लिए क़ानून अपना काम करेगी।
रही बात लखराज ज़मीन की ख़रीद बिक्री की मामला इसकी समाधान के लिए क़ानूनी एवं प्रशासनिक पहल किया जा रहा हैं और बहुत जल्दी इसका निदान किया जायेगा।
क़ानून अपने हाथ में लेने का अधिकार संविधान किसी को नहीं देती। धन्यवाद।”