Ranchi: झारखंड में सुखाड़ के हालात हैं। इससे निपटने के उपायों पर विचार-विमर्श के लिए राज्य सरकार ने मंगलवार को राज्य के प्रमुख कृषि वैज्ञानिकों के साथ आपात बैठक कर उनसे सुझाव मांगे। तय हुआ कि कृषि वैज्ञानिक राज्य के 24 जिलों में अब तक हुई बारिश की स्थिति को देखते हुए एक समेकित रिपोर्ट तैयार करेंगे, जिसके आधार पर आगे का एक्शन प्लान तय किया जायेगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर आयोजित हुई इस बैठक की अध्यक्षता कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने की। बैठक में कृषि विभाग की ओर से पेश की गयी रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में अब तक औसत से 51 फीसद कम बारिश हुई है और राज्य के 24 में से 21 जिलों में स्पेशल केयर करने की जरूरत है। धान की बुआई में सबसे ज्यादा शॉर्ट फॉल दिखाई दे रहा है। 2021 में अब तक 36.74 क्षेत्र में धान की बुआई हो गयी थी, जबकि इस वर्ष मात्र 14.11 प्रतिशत क्षेत्र ही कवर किया जा सका है।
बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी कृषि वैज्ञानिक केंद्र और आईसीएआर के कृषि वैज्ञानिकों ने झारखंड के इको सिस्टम के मुताबिक कम वक्त में पैदावार देने वाली फसलों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने की जरूरत बतायी। इसके अलावा डीएसआर मेथड पर काम करने और बीजों 75 फीसदी सब्सिडी देने, कृषि की पैदावार बढ़ाने के लिए सरफेस वाटर हार्वेस्टिंग पर नीति लागू करने और मिट्टी की नमी को बचाने के उपाय पर काम करने से सुझाव मिले।
कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि उन्होंने पिछले दिनों पलामू प्रमंडल का दौरा किया था। गढ़वा में मात्र 1.5 प्रतिशत, पलामू में 0.25 रोपाई और लातेहार में तीन प्रतिशत रोपाई हुई है। पूरे राज्य से ऐसी ही रिपोर्ट है। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुरूप दस्तावेज तैयार कर किसानों को जागरूक करने का अभियान चलाया जायेगा। राज्य में मल्टीक्राप को बढ़ावा देने के लिए चावल और गेहूं के साथ दाल और दलहन व अन्य खेती पर भी फोकस किया जायेगा। बताया गया कि झारखंड राज्य फसल राहत योजना के तहत राज्य के 20,000 कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए किसानों की मदद की जा रही है। बैठक में कृषि सचिव अबु बकर सिद्दिकी और कृषि निदेशक निशा उरांव एवं विभाग अन्य अफसर भी मौजूद रहे।