रांची: पहले तो गरीबी…मुफ़लिसी और अभाव के बीच ज़िंदगी की जद्दोजहद…और फिर सपनों की उड़ान को सच करने की चुनौती…हकीकत की रौशनी में दोनो हालात में खड़े रह पाना ही अपने आप में बेहद मुश्किल है। लेकिन, अपनी ज़िंदगी के तमाम उतार-चढ़ाव के बीच कामयाबी की कहानी गढ़ने वाली सलीमा टेटे ने साबित कर दिया है कि, मुफ़लिसी और मुश्किल हालात…मंज़िल के रास्ते मे रोड़ा नहीं बन सकती।
आज झारखंड की हॉकी खिलाड़ी सलीमा टेटे ओलंपिक में भारत की आन-बान और शान की प्रतीक बन चुकी हैं, बावज़ूद इसके एक अदद पक्के मकान और बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं…तभी तो, झारखंड सरकार के खेल विभाग की तरफ से जब सलीमा के खपड़ैल आशियाने में नया टेलीविजन लगाया गया तो, तब परिवार के सदस्य कतार में खड़े होकर टकटकी निगाह से टीवी स्क्रीन को निहारने लगी.. उनकी खुशी का ठिकाना न रहा..जिस सलीमा को मैदान में पसीने बहाते हुए करोडों लोग अपने अपने घरों में live देख रहे थे, उस वक्त सलीमा टेटे के घर वाले अपने घर मे खबर का इंतज़ार था, लेकिन सलीमा टेटे ने अपनी लगन, मेहनत और जुनून से यह साबित कर दिखाया कि, सपनो को पूरा करने के लिए किसी बैसाखी की ज़रूरत नहीं होती।
आज भले ही सूबे की सरकार ग़रीबी की स्याह गुमनाम गलियों में गुम राज्य की रौशन प्रतिभाओं को सम्मान देने पर आमादा हो, लेकिन, सलीमा टेटे जैसी होनहार बेटियों की कहानी और उनकी ज़िद्द आज देश और दुनियां के लिए नज़ीर बन गई हैं।