New Delhi: डॉक्टरों को जेनरिक दवाओं (Generic Drugs) को लिखने की बाध्यता के साथ कई नए नियमों वाले दिशा-निर्देशों पर राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग(NMC) ने रोक लगा दी है। गुरुवार को इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी करते हुए आयोग ने ‘पंजीकृत चिकित्सकों के व्यावसायिक आचरण से संबंधित विनियमों’ तत्काल रूप से स्थगित कर दिया। वही, एनएमसी के इस फैसले का भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) ने स्वागत किया है।
आईएमए के अध्यक्ष शरद अग्रवाल ने स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संघ द्वारा उठाई गई चिंताओं पर ध्यान दिया गया। उन्होंने कहा कि यह जीत इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के हर एक सदस्य की है जो एक साथ खड़े हुए, अपनी आवाज उठाई और अभूतपूर्व एकता प्रदर्शित की। यह एक ऐसी जीत है जो सामूहिक प्रयासों की शक्ति को प्रदर्शित करती है, और यह हमारे सहयोग के महत्व को पुष्ट करती है।
उल्लेखनीय है कि आईएमए ने मनसुख मांडविया को पत्र लिखकर सभी दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित होने तक नुस्खों में जेनेरिक दवाएं अनिवार्य रूप से लिखने पर राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) के नियमों को वापस लेने की मांग की थी। ‘पंजीकृत चिकित्सकों के व्यावसायिक आचरण से संबंधित विनियमों’ के तहत सभी डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं लिखने की बाध्यता थी, ऐसा न करने पर उन्हें दंडित किया जाएगा और उनका लाइसेंस भी एक अवधि के लिए निलंबित किया जा सकता है।
नियमों में यह भी कहा गया है कि पंजीकृत चिकित्सकों और उनके परिवारों को कोई उपहार, यात्रा सुविधाएं, नकदी या आर्थिक सहायता नहीं मिलनी चाहिए। किसी भी बहाने से उनकी पहुंच फार्मास्युटिकल कंपनियों या उनके प्रतिनिधियों, वाणिज्यिक स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठानों, चिकित्सा उपकरण कंपनियों या कॉर्पोरेट अस्पतालों की ओर से प्रदान किये जाने वाले मनोरंजन तक नहीं होनी चाहिए। (HS)