New Delhi: चुनाव में मुफ्त की योजनाओं की घोषणा वाले मामले पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय बेंच ने कोई भी आदेश जारी करने से इनकार कर दिया। मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को इस बात के लिए फटकार लगाई कि अखबारों में उनका हलफनामा छप गया लेकिन कल दस बजे रात तक सुप्रीम कोर्ट को नहीं मिला। जब ये अखबार में पहुंच सकता है तो कोर्ट क्यों नहीं आ सकता है।
कोर्ट ने सभी पक्षों से अपने सुझाव देने को कहा। सुनवाई के दौरान आम आदमी पार्टी की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने विशेषज्ञ कमेटी के गठन को गैरजरूरी बताया।आम आदमी पार्टी ने मामले में खुद को भी पक्षकार बनाए जाने की मांग की है।
आम आदमी पार्टी ने इस तरह की घोषणाओं को राजनीतिक पार्टियों का लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकार बताया। आम आदमी पार्टी ने इस मामले में याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय को भाजपा का सदस्य बताते हुए उनकी मंशा पर भी सवाल उठाए।
अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए 6 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वो रिजर्व बैंक, नीति आयोग समेत अन्य संस्थानों और विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ लेकर विचार करके एक रिपोर्ट तैयार करके कोर्ट के समक्ष रखे। याचिका में अश्विनी उपाध्याय ने चुनाव के दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त में उपहार देने वाली घोषणाएं करने वाले राजनीतिक दलों की मान्यता खत्म करने की मांग की है। (Input-Hs)