

New Delhi: एबीजी शिपयार्ड ऋण धोखाधड़ी (ABG Shipyard Loan Fraud) मामले में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act) के तहत मामला दर्ज किया। यह मामला भारतीय स्टेट बैंक द्वारा कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ बैंकों के एक संघ को 22,842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने की शिकायत पर सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर दर्ज किया गया था।


ईडी ने सीबीआई से मामले से जुड़े प्रासंगिक दस्तावेज सौंपने को कहा था और मामले की जांच शुरू की थी। प्रारंभिक जांच करने और कानूनी राय लेने के बाद ईडी ने पीएमएलए का मामला दर्ज करने का फैसला किया।

अब ईडी निदेशकों को जांच में शामिल होने के लिए अपने अधिकारियों के सामने बयान दर्ज कराने के लिए तलब कर सकता है।
इस मामले में कंसोर्टियम में 28 बैंक शामिल हैं, जो सीसी ऋण, सावधि ऋण, ऋणपत्र, बैंक गारंटी आदि के रूप में कंपनी को भारी मात्रा में संवितरण करते हैं, जो बैंकों द्वारा अग्रिम के रूप में दिए गए थे।
धोखाधड़ी मुख्य रूप से एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा अपने संबंधित पक्षों को भारी हस्तांतरण और बाद में समायोजन प्रविष्टियां करने के कारण हुई है। यह भी आरोप है कि बैंक ऋणों को डायवर्ट करके इसकी विदेशी सहायक कंपनी में भारी निवेश किया गया था और धन को इसके संबंधित पक्षों के नाम पर बड़ी संपत्ति खरीदने के लिए भी भेजा गया था।
एबीजी शिपयार्डस ने इंडियन ओवरसीज बैंक से 1,228 करोड़ रुपये, पंजाब नेशनल बैंक से 1,244 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा से 1,614 करोड़ रुपये, आईसीआईसीआई बैंक से 7,089 करोड़ रुपये और आईडीबीआई बैंक से 3,634 करोड़ रुपये का कर्ज लिया और फिर डिफॉल्ट किया। प्रारंभ में बैंकों ने एक आंतरिक जांच शुरू की, जिसमें यह पाया गया कि कंपनी अलग-अलग संस्थाओं को धन भेजकर संघ को धोखा दे रही थी।(IANS)