देश।
मजदूरों के लिए कभी भी परिस्थितियां अनुकूल नहीं होती । उसके खून पसीने की मेहनत दूसरों के सपने को पूरा करने में गुजर जाता है। एक मजदूर अपना और पूरे परिवार के भरण पोषण के लिए रोजी रोटी की जुगाड़ में अपने घर को छोड़कर मीलों दूर दूसरे राज्यों के विकास और उद्योग धंधों के फलने-फूलने में ही ताउम्र अपना शरीर मुरझा देता है और उसपर प्रवासी मजदूर का लगा ठप्पा उनकी बेचारगी को और भी बढ़ा देता है। लॉकडाउन (lockdown) में काम बंद होने के बाद इस संकट की घड़ी में उन्हें उनके घर और गांव की अहमियत बता दी। अपने घर वापसी की छटपटाहट और बेचैनी यह बतला रही है कि शायद ही अब वे रोजी रोटी के लिए शहरों की ओर रुख करें।
देश के विकास की सांस हैं बिहार-झारखंड के लोग
दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक समेत देश के सभी राज्यों में काम करने वाले अधिकांश लोग बिहार और झारखंड से ही हैं। एक तरफ से यूं कहें तो देश के विकास को गति देने के लिए और राज्यों में कृषि क्षेत्र से लेकर उद्योग धंधों को फलने फूलने में यही मजदूर और कामगार श्वसन तंत्र का काम करते हैं।इनके पसीने के हर कतरे से ही तो उन राज्यों के विकास की बुनियाद है और उद्योग-धंधों के साथ शहर की बड़ी-बड़ी अट्टालिकाएं भी गर्व से सीना ताने खड़ी रहती हैं। मगर, लॉकडाउन में काम बंद होने के बाद उद्योगपतियों और अपने मालिकों की संवेदनहीनता से नाराज मजदूर अब हर हालत में घर लौटना चाह रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार की मदद से जो मजदूर अपने घर लौट आये हैंं उनमें से कइयों ने वापस नहीं जाने की ठान ली है। जबकि, कुछ मजदूर फिलहाल हालात पर ही सबकुछ छोड़ रखे हैं । कई मजदूरों की घर वापसी की खुशी उनके चेहरे पर इस कदर झलक रही है कि वे रुखी-सूखी खाकर भी अपने गांव में ही रहने को तैयार हैं।
मजदूरों की वापसी के बाद उद्योग जगत के लिए आने वाला संकट
बिहार और झारखंड के 25 लाख से अधिक मजदूर पूरे देशभर में अलग अलग राज्यों की अर्थव्यवस्था को संभाल रखे हैं। इनमें बिहार के ही लगभग 17 लाख के आसपास और झारखंड के 8 लाख के करीब मजदूर हैं। अगर, ये सभी मजदूर लॉकडाउन के बाद वापस लौट जाते हैं तो उन तमाम राज्यों की विकास की गति ठहर जायेगी, जो इनकी मेहनत की बदौलत बुलंदियों को छू रही है। खासकर दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र जैसे देश के अग्रणी राज्य, जहां लाखों की संख्या में मजदूर बिहार और झारखंड से अपने गांव को छोड़कर कमाने कमाने के लिए जाकर गुजर-बसर करते हैं। कई राज्य की सरकारें इस संकट को भांपते हुए मजदूरों को सारी सुविधाएं देने का वादा कर रही हैं, मगर मजदूर अब वहां रूकने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हैं। खासकर लॉकडाउन खत्म होने और कोरोना संक्रमण काल से बाहर नहीं आने तक वे अपने गांव में ही रहना चाह रहे हैं।
विकसित राज्यों के लिए मुश्किल हाेंगे हालात
महाराष्ट्र में बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल और भवन निर्माण करने वाली कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि लॉकडाउन के बाद परिस्थितियां काफी बदल जायेंगी। खासकर छोटे-मंझोले उद्योग समेत भवन निर्माण कार्य के लिए काफी चुनौतियां आने वाली हैं। बिहार झारखंड के मजदूरों के वापस लौटने के बाद स्थानीय स्तर पर मजदूरों का संकट हो जायेगा। उद्योग धंधों को चलाने के लिए फिलहाल मजदूर मिलना मुश्किल होगा। साथ बिल्डर अपने प्रोजेक्ट को पूरा करने के दबाव की समस्या से जूझते नजर आयेंगे।
जानें राज्य और वहां के किन प्रमुख उद्योग जिनपर पड़ेगा प्रभाव
प्रमुख राज्य |
विकसित अर्थव्यवस्था के श्रोत |
पंजाब |
पंजाब कृषि के क्षेत्र में देशभर में अग्रणी राज्यों में है। लेकिन यहां लघु व मध्यम आकार के उद्योग भी राज्य को आर्थिक रूप से मजबूत बनाये हुए हैं। बिहार और झारखंड के अधिकांश श्रमिकों ने यहां होने वाले धातू उत्पादन, परिवहन उपकरण निर्माण के साथ वस्त्र उद्योग को संभाल रखा है। |
हरियाणा |
औद्योगिक क्षेत्र के रूप में हरियाणा काफी विशाल है। यहां दो हजार के करीब बड़ी और 85-90 हजार के करीब लघु उद्योग संचालित हो रहे हैं। इलेक्ट्रिक, इलेक्ट्रॉनिक के साथ ही वैज्ञानिक उपकरण का यह एक बड़ा उत्पादक राज्य है। |
दिल्ली |
देश की राजधानी दिल्ली में बड़ी तादाद में श्रमिक काम करते हैं। छोटे और मंझोले उद्योगों के लिए यह बड़ा केंद्र है। खासकर, इनमें टेलीविज़न, टेपरिकार्डर, हल्का इंजीनियरिंग साज–सामान, मशीनें, मोटरगाडियों के हिस्से पुर्ज़े, खेलकूद का सामान, साइकिलें, पी.वी.सी. से बनी वस्तुएं जूते–चप्पल, कपड़ा, उर्वरक, दवाएं, हौजरी का सामान, चमड़े की वस्तुएं, सॉफ्टवेयर आदि छोटे और मध्यम उद्योग इस राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। |
गुजरात |
दिल्ली, पंजाब और महाराष्ट्र के अलावा गुजरात देश का ऐसा राज्य है, जहां सर्वाधिक श्रमिक काम करते हैं। औद्योगिक क्षेत्र के साथ यह कपड़े का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। गुजरात में रसायन, पेट्रो–रसायन, उर्वरक, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि उद्योग में तेजी आयी है। सूरत वस्त्र उद्योग का एक सबसे बड़ा हब है, जहां बिहार और झारखंड के सर्वाधिक लोग काम करते हैं। |
आंध्रप्रदेश |
औद्योगिक क्षेत्र में इस राज्य का काफी विशाल दायरा है। हैदराबाद और विशाखापत्तंनम समेत अन्यज इलाकों में केमिकल प्लांट, मशीनी उपकरण और औजार, उर्वरक, विमानों के कल पुर्जे, कांच, बिजली उपकरण, दवाइयां, घड़ियां आदि उत्पादन होता है। यह राज्य क्रिसोलाइट एस्बेस्टस के उन्नकत किस्मच का विशालत भंडार हैं। |
अन्य |
इसके अलावा यूपी, गोवा, उत्तरप्रदेश, तेलंगना आदि ऐसे राज्य हैं जहां काफी तादाद में बिहार और झारखंड के श्रमिक कार्य करते हैं। |
महानगरों के बिल्डरों की बढ़ेगी समस्या
उपरोक्त राज्यों के उद्योग धंधों की सूची देखकर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर यहां काम करने वाले श्रमिक वापस आ गये तो परेशानी काफी बढ़ जायेगी। इसके अलावा राज्यों के विकास कार्यों में भवन निर्माण कार्य का एक बड़ा योगदान है। बिहार और झारखंड दोनों राज्यों से राजमिस्त्री, मजदूर, इलेक्ट्रिशियन, पेंटर आदि के रूप में मीलों दूर जाकर रोजी रोटी की तलाश में काम करते हैं। ऐसे में महानगरों में भवन निर्माण करने वाले बिल्डरों की समस्या और भी बढ़ जायेगी, क्योंकि, लोगों के घर के सपनों को पूरा करने और बिल्डर की मोटी कमाई का बड़ा जरिया ये श्रमिक ही हैं।
प्रवासी मजदूरों की वापसी बिहार और झारखंड सरकार के लिए चुनौती और एक अवसर भी
प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के बाद बिहार और झारखंड सरकार की चुनौतियां भी काफी बढ़ने वाली हैं। लॉकडाउन में काम बंद हाेने के बाद ये श्रमिक वापस लौटने पर घर परिवार चलाने के लिए दोबारा स्थानीय स्तर पर रोजगार की तलाश में जुटेंगे। झारखंड सरकार इन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए सौ मानव दिवस का सृजन करने के लिए कुछ नयी योजनाएं चला रही है। वहीं, बिहार सरकार ने भी सरकारी योजनाओं से इन्हें लाभ दिलाने का भरोसा दिया है। मगर, पूंजीपतियों व उद्योगपतियों का विरोध करने वाली झारखंड सरकार के लिए इतनी बड़ी तादाद में रोजगार उपलब्ध कराना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। साथ ही बिहार सरकार के लिए लाखों की तादाद में आने वाले श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराने के लिए अपराध नियंत्रित कर उद्योग धंधे को स्थापित करना भी एक संघर्ष की तरह होगा। हालांकि, ये चुनौतियां इन राज्यों के विकास को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है और इस अवसर का फायदा उठाकर उद्योग धंधों को बढ़ावा देने और पलायन को रोकते हुए बिहार और झारखंड को देश के अग्रणी राज्यों में खड़ा करने का एक सुनहरा मौका है।