पटना: स्व. रामविलास पासवान सोमवार को पटना से लेकर हाजीपुर, वैशाली और मुजफ्फरपुर में की फिजां में तैरते रहे। उनके निधन के बाद दो फाड़ हुई उनकी पार्टी लोजपा के दोनों गुटों ने अपने-अपने तरीके से उनकी पहली जयंती मनाई। दोनों गुट के नेताओं ने इस बहाने अपने समर्थकों की ताकत भी दिखाई। साथ ही भावनाओं के उभार में डूबकर खुद को स्व. रामविलास पासवान का असली राजनीतिक वारिस होने का दावा भी किया।
लोजपा कार्यालय में पशुपति कुमार पारस ने पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान की पहली जयंती सोमवार को मनाई। इस अवर पर स्व. पासवान के चित्र पर माल्यार्पण करने के बाद वह खुद भावुक हो गये। कहा कि पहला अवसर है जब जन्मदिन पर बड़े साहब हमलोगों के साथ नहीं हैं। हाल में मुझे कुछ फैसले भारी मन से लेने पड़े लेकिन ये फैसले नहीं लेता तो पार्टी के कार्यकर्ता और रामविलास पासवान के सपनों को समर्पित देश के लोग मुझे माफ नहीं करते। उन्होंने कहा कि चिराग के कारण पार्टी में लोकतंत्र समाप्त हो गया था। हर कोई खुद को अकेला महसूस करने लगा था। मुझे पार्टी को बचाने के लिए और आंतरिक लोकतंत्र बनाये रखने के लिए कुछ कटु फैसले लेने पड़े।
पारस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग की कि स्व. पासवान की राजनीति और देश के विकास में योगदान को देखते हुए उन्हें भारत रत्न से नवाजा जाए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी इसकी अनुशंसा करने की मांग की। साथ ही कहा कि पटना में पार्टी कार्यालय को उनका स्मारक घोषित किया जाना चाहिए।
पार्टी कार्यालय के साथ हाजीपुर सर्किट हाउस के बगल में स्थित भूखंड में स्व. पासवान की आदमकद प्रतिमा लगाने की भी मांग की। कहा कि रामविलास पासवान वंचितों के साथ अगड़ी जाति के गरीबों के भी हिमायती रहे। देश में मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू कराया। साथ ही गरीब सवर्णों को आरक्षण दिलाया। उन्होंने कहा था कि देश में मोबाइल टोकरी के भाव बिकवा दूंगा। आज वह देखने को मिल रहा है। रेल मंत्री के रूप में पटना को राजधानी एक्सप्रेस दिया। कुलियों के लिए बड़ा काम किया।
प्रिंसराज फिर नहीं दिखे
लोजपा पार्टी कार्यालय में स्व. रामविलास पासवान की जयंती कार्यक्रम में सोमवार को सांसद प्रिंस राज नहीं पहुंचे। बताया गया कि वह बीमार हैं। वह पारस गुट के चुनाव में भी शामिल नहीं हुए थे। उस दिन भी वह दिल्ली से पटना नहीं आये। तब भी कहा गया था कि वह बीमार हैं।
उल्लेखनीय है कि पशुपति कुमार पारस को पार्टी संसदीय दल का नेता चुनने वालों में प्रिंस राज भी शामिल थे लेकिन उसके बाद पारस गुट के पटना में आयोजित किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए।
चिराग बोले पापा ने कहा था, सच लेकर चलो अकेला होने से नहीं डरो
लोजपा के दो फाड़ होने के बाद पहली बार पटना पहुंचे सांसद चिराग पासवान का पार्टी कार्यकर्ताओं ने जमकर स्वागत किया। एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर पहुंच गया। हवाई अड्डे से लेकर बेलीरोड तक बड़ी संख्या में वाहनों की कतार लगी रही।
इसके पहले दिल्ली में पटना के लिए निकलते समय चिराग ने मीडिया से कहा कि मेरे पापा ने कहा था, सच को लेकर आगे बढ़ते रहो। संभव है तुम अकेला भी पड़ जाओ, लेकिन डरना नहीं। हमेशा जीत सच की होती है। मैं उन्हीं के बताये मार्ग पर चल रहा हूं। बाद में ट्वीट के माध्यम से चिराग ने भावनात्मक तस्वीर भी सार्वजनिक की। तस्वीर में रामविलास पासवान केक काट रहे हैं और बगल में चिराग तथा उनकी मां खड़ी हैं। ट्वीट में उन्होंने कहा है ‘पापा जहां भी होंगे आप इस स्थिति को देख दुखी होंगे लेकिन मैं आपकी संतान हूं, हारूंगा नहीं’।
पटना पहुंचने के बाद हवाई अड्ड़ से चिराग हाजीपुर के लिए निकले। रास्ते में वह पटना हाईकोर्ट के पास भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के लिए पहुंचे। वहां ताला बंद देख चिराग थोड़ी देर के लिए वहीं धरने पर बैठ गये। इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार अंबेडकर की प्रतिमा को ताले में बंद कर सकती है, लेकिन उनके आदर्शों को मेरे दिल से नहीं निकाल सकती।
पार्टी प्रवक्ता राजेश भट्ट और मीडिया प्रभारी कृष्ण सिंह कल्लू ने कहा कि दो दिन पहले अंबेडकर प्रतिमा की साफ सफाई के लिए नगर निगम को कहा गया लेकिन आज भी वहां गंदगी भरी पड़ी है। पटना के जिलाधिकारी से प्रतिमा स्थल को माल्यापर्ण के लिए खोलने का आग्रह किया गया था लेकिन प्रशासन ने मना कर दिया। आरोप लगाया कि हजारों कार्यकर्ताओं को एयरपोर्ट पहुंचने नहीं दिया गया।