
Islamabad: जस्टिस आयशा मलिक(Ayesha Malik) ने सोमवार को पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट (Pakistan Supreme Court) के न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली। तमाम दावों के बावजूद पाकिस्तान महिलाओं को बराबरी के अधिकार देने का वातावरण तक नहीं बना पा रहा है। यही कारण है कि पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान बार एसोसिएशन (Pakistan Bar Association) भी उनकी नियुक्ति का विरोध कर रहा है।

जस्टिस आयशा मलिक की पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त की गयी है। यह दायित्व पाने वाली आयशा मलिक पाकिस्तान की पहली न्यायाधीश हैं। बीते 21 जनवरी को औपचारिक रूप से उनकी नियुक्ति के आदेश जारी हुए थे। उन्हें सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गुलज़ार अहमद ने शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण के दौरान पाकिस्तान के अगले मुख्य न्यायाधीश के तौर पर नामित जस्टिस उमर अता बंदियाल भी उपस्थित थे।
वैसे जस्टिस आयशा को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनने तक की यात्रा में खासी मशक्कत करनी पड़ी। उन्हें लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद से पदोन्नत कर सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया है, किन्तु पाकिस्तान बार एसोसिएशन उनकी पदोन्नति का विरोध कर रहा है। पाकिस्तान के वकील विरोध के लिए उनकी वरिष्ठता को आधार बना रहे हैं। जस्टिस आयशा वरिष्ठता क्रम में लाहौर उच्च न्यायालय में चौथे स्थान पर थीं।