Kabul: अफगानिस्तान (Afganistan) में लोकतांत्रिक सरकार (Democratic Government) हटाकर तालिबान शासन (Taliban Governance) स्थापित करने के बाद कार्यवाहक प्रधानमंत्री (Executive Prime Minister)मुल्ला हसन अखुंद (Mulla Hasan Akhund) पहली बार सार्वजनिक रूप से मीडिया के सामने आया है। अखुंद ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए दुनिया भर के देशों से अफगानिस्तान में तालिबान के प्रशासन को मान्यता देने की मांग की।
अखुंद ने कहा कि सभी देशों को आगे बढ़कर तालिबान प्रशासन को मान्यता देनी चाहिए, क्योंकि वह सभी जरूरी शर्तें पूरी करता है। खासतौर पर उन्होंने इस्लामिक देशों से अपील की है कि वे आगे आएं और तालिबान सरकार को मान्यता प्रदान करें।
अखुंद ने कहा कि मैं सभी सरकारों से खासतौर पर इस्लामिक देशों से कहना चाहता हूं कि उन्हें तालिबान प्रशासन को मान्यता देना शुरू करना चाहिए। वह पहली बार इस तरह से मीडिया के सामने आए थे। अपनी नियुक्ति के बाद से वह अब तक इस तरह से नहीं दिखे थे। सितंबर में तालिबान ने मुल्ला हसन अखुंद को देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। हालांकि तब से अब तक चीन, रूस, अमेरिका, फ्रांस, भारत और जर्मनी समेत किसी भी देश ने तालिबान के प्रशासन को मान्यता नहीं दी है। हालांकि पाकिस्तान की ओर से कई बार इस संबंध में मांग की जा चुकी है कि तालिबान को मंजूरी दी जानी चाहिए।
अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान ने पिछले साल 15 अगस्त को कब्जा जमा लिया था। अमेरिका के नेतृत्व वाली सेनाओं ने 30 अगस्त की समय सीमा देश छोड़ने की रखी थी। उससे पहले ही तालिबान ने देश के सभी प्रांतों में हमले तेज कर दिए थे और सत्ता कब्जा ली लेकिन इसके बाद किसी भी देश ने अब तक उसे मान्यता प्रदान नहीं की है। यही नहीं अमेरिका ने तो अफगानिस्तान के बैंकों की जमा लाखों डॉलर की पूंजी को भी सीज कर दिया है। तालिबान ने इस रकम को भी रिलीज करने की कई बार मांग की है। तालिबान का कहना रहा है कि यदि इस रकम को जारी नहीं किया गया तो फिर देश का विकास नहीं हो पाएगा।