Kolkata: कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) ने एक दुर्लभ फैसले (Rare Verdict) में शुक्रवार को एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक को एक शिक्षक के वेतन को दो साल के लिए रोके रखने के लिए 10 जून तक स्कूल परिसर में प्रवेश करने पर रोक (Ban on entering the school premises) लगा दी है। न्यायमूर्ति अविजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ ने स्थानीय पुलिस को उस तिथि तक स्कूल के गेट पर दो सशस्त्र कर्मियों को तैनात करने का निर्देश दिया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोषी प्रधानाध्यापक निर्दिष्ट समय तक स्कूल में प्रवेश ना कर सकें।
प्रश्न में व्यक्ति पश्चिम बंगाल में उत्तर 24 परगना जिले के बारासात उप-मंडल में गोलाबारी पल्लीमोंगल हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक शेख सफी आलम हैं।
उसी स्कूल के शिक्षक राजू जाना ने आलम के खिलाफ याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि आलम ने 2018 से 2020 तक दो साल के लिए उनका वेतन रोक दिया था। मामला लंबे समय तक चला और शुक्रवार को अंतिम सुनवाई की तारीख थी।
न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने आलम को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित रहने का आदेश दिया। अंतिम सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने आलम से पूछा कि क्या उनके पास उस स्कूल के शिक्षक का वेतन रोकने का कोई अधिकार है, जहां वह प्रधानाध्यापक हैं। हालांकि आलम के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था।
न्यायाधीश ने तब अपना फैसला सुनाया, जिसमें दोषी प्रधानाध्यापक को 10 जून तक स्कूल परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया गया था और स्थानीय पुलिस स्टेशन को उस समय तक स्कूल के गेट पर दो सशस्त्र गार्ड तैनात करके सुनिश्चित करने के लिए कहा था।
न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय हाल ही में उस समय सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग में भर्ती अनियमितताओं से संबंधित एकीकरण के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के लिए घंटों के भीतर पेश होने का आदेश दिया था।
हालांकि उस आदेश पर उसी दिन एक खंडपीठ ने रोक लगा दी थी, लेकिन उस समय तक न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने उच्च न्यायालय के तृणमूल कांग्रेस से जुड़े वकीलों का गुस्सा आकर्षित किया था, जिन्होंने 21 दिनों तक उनकी पीठ का बहिष्कार किया था।