कोलकाता।
पश्चिम बर्दवान जिले के नौ विधानसभा क्षेत्रों के लिए भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों की सूची संभवत: 18 अप्रैल को जारी होगी। टिकट के दावेदारों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। लेकिन तमाम उछल-कूद के बाद भी इन दावेदारों के टिकट की गारंटी कहीं से भी नहीं हो पा रही है। इसके कारण जिले में भाजपा का चुनाव प्रचार पिछड़ने लगा है।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि चार चरणों के मतदान के लिए प्रत्याशियों की घोषणा की जा चुकी है। अब शेष प्रत्याशियों के नामों की सूची आगामी 18 अप्रैल को होने की संभावना है। पार्टी नेतृत्व किसी भी कीमत पर चुनाव जीत कर सरकार गठन करना चाहती है। इसलिए प्रत्याशियों के चयन में पूरी सतर्कता बरती जा रही है। अगले चरण के मतदान के लिए भी प्रत्याशियों का निर्णय लिया जा रहा है। पार्टी चाहती है कि अंतिम समय तक इंतजार किया जाये।
हालांकि यह रणनीति पार्टी नेतृत्व पर भारी पड़ने लगी है। तृणमूल कांग्रेस ने अपने सभी प्रत्याशियों की सूची एक साथ ही जारी कर दी। इसके कारण जो असंतोष था, वह एक दो दिन में समाप्त हो गया। टिकट से वंचित जिन नेताओं को दलबदल करना था, उन्होंने पार्टी बदल ली। इसके बाद तृणमूल के सभी अधिकृत प्रत्याशी पूरी ताकत से चुनाव प्रचार में लग गये हैं। कमोवेश सभी तृणमूल प्रत्याशियों का दीवार लेखन शुरू हो गया है। ग्रुप बैठकों और छोटी-छोटी सभाओं का सिलसिला शुरू हो गया है। इधर सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले लेफ्ट फ्रंट ने भी वामपंथी प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। उनके प्रत्याशियों के पक्ष में दीवार लेखन और सघन प्रचार शुरू हो गया है। पार्टी कार्यकर्ता पूरी ताकत से जन संपर्क कर रहे हैं।
लेकिन सबसे अधिक परेशानी भाजपा नेताओं को हो रही है। जिले के नौ विधानसभा क्षेत्र में एक भी विधायक नहीं होने से एक भी क्षेत्र में कोई दावेदार ऐसा नहीं है जो दावा कर सके कि उसे टिकट मिलेगा ही। पार्टी नेतृत्व के 200 सीट पार के दावे के बाद हर दावेदार को अपनी जीत पक्की लग रही है। इसका परिणाम यह है कि एक-एक क्षेत्र से दर्जनों की संख्या में टिकट के दावेदार हो गये हैं। इस स्थिति में कोई भी दावेदार किसी क्षेत्र में जन संपर्क या प्रचार नहीं चला पा रहा है। इसके कारण परेशानी बढ़ती जा रही है। इसी के साथ हुगली, हावड़ा सहित विभिन्न जिलों में पुराने पार्टी कर्मियों को टिकट न मिलने से भारी विक्षोभ है। पार्टी कार्यालयों पर विरोध प्रदर्शन और तोड़फोड़ भी हो रहे हैं। दावेदारों का कहना है कि नये स्थान से चुनाव लड़ने पर पार्टी के दावेदारों के साथ संतुलन बनाना मुख्य चुनौती होगा। इसके बाद आम मतदाता से संपर्क करना होगा। प्रत्याशियों की सूची जारी होने में जितना समय लगेगा, प्रचार के लिए कम समय मिलेगा।
भाजपा प्रत्याशियों की सूची जारी होने में हो रहे विलंब को देखते हुए बाजार में भाजपा का टिकट दिलाने का दावा करनेवाले ठग सक्रिय हो गये हैं। भाजपा में टिकट के कई दावेदारों और व्यवसायियों ने कहा कि उनसे बिचौलिये ने संपर्क करना शुरू कर दिया है। एक टिकट के लिए दो से तीन करोड़ रुपये की मांग की जा रही है। बिचौलिये दावा कर रहे हैं कि हर हालत में टिकट दिला देंगे।
विधानसभा चुनाव में भाजपा सरकार के गठन की संभावना देख कर कई लोग भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। लेकिन वे भाजपा की मुख्य धारा में कभी शामिल नहीं रहे। इस स्थिति में वे शॉर्टकट से टिकट पाना चाहते हैं। ऐसे ही लोगों से संपर्क किया जा रहा है। सनद रहे कि बांकुड़ा में तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने आरोप लगाया है कि उनका टिकट काट कर साढ़े तीन करोड़ रुपये में टिकट बेच दिया गया। इस तरह के बयानों से बिचौलिये के पक्ष को मजबूती मिल रही है।