देहरादून।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा है कि, 1 अप्रैल से हरिद्वार के कुंभ (Kumbh) मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कोविड की नेगेटिव रिपोर्ट लाना अनिवार्य नहीं होगा।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि 'कुंभ मेले में आने वालों को कोविड-19 की नेगेटिव रिपोर्ट लाना जरूरी नहीं है। कुंभ स्नान में आने के लिए लोग 12 साल इंतजार करते हैं। ऐसा वातावरण नहीं होना चाहिए कि कुंभ में आने से न जाने क्या हो जाएगा। यह भावनात्मक विषय है, इसलिए कोविड-19 महामारी की रोकथाम से संबंधित गाइडलाइन का पालन करते हुए सभी लोगों को कुंभ में बेरोकटोक आने की इजाजत होनी चाहिए।'
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुंभ मेला केवल उत्तराखंड का नहीं है। यह देश और दुनिया का कुंभ है। यह भावनात्मक विषय है। आस्था से जुड़ा है। चूंकि 12 साल में आता है, इसलिए लोग 12 साल से इस आयोजन का इंतजार करते हैं। ऐसा वातावरण नहीं होना चाहिए कि कुंभ में जाने से पता नहीं क्या हो जाएगा? यह डर दूर होना चाहिए। सबको आने का मार्ग प्रशस्त होना चाहिए। कोविड गाइडलाइन का ध्यान रखते हुए सबको आने की इजाजत हो। कोविड की नेगेटिव रिपोर्ट की जरूरत नहीं। उन्होंने कहा कि कुंभ में लाखों लोग आएंगे, किस-किस की जांच करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अखाड़ों की झांकियां होंगी और इन्हें कोई देखने वाला नहीं है तो क्या मजा है? इसलिए कुंभ में बड़ी संख्या में लोग आएं। रोक-टोक नहीं होनी चाहिए। सबको आने देना चाहिए।
‘सरकार जनता को खुश करने के लिए है, दुखी करने के लिए नहीं’
तीरथ ने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने अधिकारियों की बैठक ली। उन्हें निर्देश दिए कि हेलीकॉप्टर से फूल वर्षा होनी चाहिए। मैं स्वयं गया। मैं हेलीकॉप्टर से नहीं गया। मैं सड़क से गया। वहां मुझे भी साधु-संतों का स्वागत करने का मौका मिला। साधु-संत और व्यापारी बहुत खुश हैं। लाखों की संख्या में लोग आएंगे तो उनका कारोबार भी चलेगा। सरकार जनता को खुश करने के लिए है, दुखी करने के लिए नहीं।
साथ ही उन्होंने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा लिए गए देवस्थानम बोर्ड और गैरसैंण मंडल के विवादित फैसले पर पुनर्विचार करने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि, "हम इन विवादास्पद मामलों में जनभावना को ध्यान में रखते हुए ही कोई फैसला लेंगे।"
इस एक्ट के अंतर्गत राज्य में स्थित बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री समेत 55 मंदिर के रखरखाव, बुनियादी सुविधाओं और ढांचागत सुविधाओं को पूर्व की त्रिवेंद्र रावत की सरकार ने अपने अधिकार में लेने का फैसला लिया था। सीएम ने कहा, "देवस्थानम बोर्ड के फैसले को लेकर मैं इन मदिरों के पुजारियों से बातचीत कर उनका पक्ष भी जानने का प्रयास करुंगा। दोनों पक्षों के बीच समन्वय स्थापित कर ही इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा।"