Balia: सम्पूर्ण क्रान्ति के नायक जयप्रकाश नारायण और छोटे लोहिया के नाम से विख्यात जनेश्वर मिश्र के गृह क्षेत्र बलिया जिले की बैरिया विधानसभा सीट के लिए किसी भी बड़े दल ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं। इससे यहां के सियासी समीकरण को लेकर अटकलों का दौर समाप्त नहीं हुआ है। समाजवाद के पुरोधाओं का गढ़ रही बैरिया सीट पर सपा सिर्फ एक बार ही परचम लहरा सकी है। वहीं भाजपा तीन बार इस सीट को अपनी झोली में डाल चुकी है।
राजनीतिक दलों के अभी तक उम्मीदवार घोषित न करने को लेकर एक यह भी कारण है कि बलिया समेत आसपास के 10 जिलों की 57 सीटों पर छठे चरण में तीन मार्च को मतदान है। इसके लिए चार फरवरी को अधिसूचना के साथ ही नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, जो 11 फरवरी चलेगी। बैरिया सीट पर भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस में से किसी भी पार्टी ने अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं।
गंगा और घाघरा नदी के दोआब में स्थित बैरिया विधानसभा क्षेत्र बड़े-बड़े राजनीतिक सूरमाओं की जन्मभूमि और कर्मभूमि भी है। जयप्रकाश नारायण की जन्मस्थली और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश का गांव सिताबदियारा भी इसी विधानसभा क्षेत्र में आता है। समाजवादी पार्टी के संस्थापकों में से एक जनेश्वर मिश्रा का पैतृक गांव शुभनथहीं भी इसी का हिस्सा है। गंगा और घाघरा नदी के बीच बसा ये इलाका हर साल भीषण बाढ़ की चपेट में आता रहा है। यह समस्या दशकों पुरानी है। इस दौरान यहां अलग-अलग दलों के नुमाइंदे चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचते रहे, मगर बाढ़ की समस्या जस की तस बनी हुई है।
समाजवाद के पुरोधाओं का गढ़ रही बैरिया सीट पर सपा सिर्फ एक बार ही परचम लहरा सकी है। बैरिया सीट से 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर मैनेजर सिंह विधायक निर्वाचित हुए थे। इंदिरा गांधी को छुड़ाने के लिए विमान अपहरण से चर्चा में आए भोला पांडेय कांग्रेस के टिकट पर 1980 में विधानसभा पहुंचे। इसके बाद 1985 में जनता पार्टी के मैनेजर सिंह, 1989 में कांग्रेस के भोला पांडेय, 1991 में भरत सिंह विधायक निर्वाचित हुए। 1993 में कांग्रेस के टिकट पर विक्रम सिंह विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए। इसके बाद 1996 और 2002 में भाजपा के भरत सिंह विधायक बने।
2007 में बहुजन समाज पार्टी के सुभाष यादव विधायक निर्वाचित हुए। वहीं, 2012 में पहली बार इस सीट पर सपा को जीत मिली। तब सपा के जयप्रकाश अंचल विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। 2017 के चुनाव में भाजपा ने सुरेंद्र सिंह को टिकट दिया। सुरेंद्र सिंह ने उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के जयप्रकाश अंचल को 17,077 मतों के अंतर से हराया था। सुरेंद्र सिंह को 64,868 और सपा के जयप्रकाश अंचल को 47,791 वोट मिले थे।