बिहार
सोनो/जमुई।
बाबा के जयकारों से गुंजायमान होता रहा महेश्वरी। लक्ष्मीनारायण मंदिर में उमड़ा जनसैलाब। धर्मपरायणता व असीम आस्था को प्रतिबिम्बित करता दिखा। मौका था सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर बिहार राज्य के सोनो प्रखंड अंतर्गत महेश्वरी में आयोजित लक्ष्मीनारायण महोत्सव का।
हाथों में नैवेद्य की थालियां लिए महिला, पुरुष भक्तजन बाबा लक्ष्मीनारायण की अराधना में लीन दिखे। घरों पर अतिथियों की आवभगत पूरी आत्मीयता से की जाती रही। प्रसाद ग्रहण करने के बाद दही-चूड़ा के सहभोज का भी आगंतुकों ने आनंद लिया।
मंदिर परिवार में बाबा के जयकारे पूरे गांव में अध्यात्म की फ़िज़ा पैदा कर रहे थे। मंदिर के बरामदे पर उत्कीर्ण श्लोकों का पाठ भक्तजन करते दिखे। लक्ष्मीनारायण स्यातनूवरदयया द्रव्य रामाभ्रनेत्रे..।
लक्ष्मीनारायण महोत्सव का इतिहास
बात 16वीं शताब्दी की है। क्षत्रियों के इस गांव में एक महात्मा का पदार्पण हुआ था। गांव वालों की अनन्य श्रद्धा से वसीभूत होकर महात्मा महेश्वरी गांव में ठहर गए। प्रतिदिन वह गांव से पूरब की ओर बहने वाली कलोथर नदी में ब्रह्ममुहूर्त में स्नान को जाते। ध्यान अर्चना के दौरान वह अपनी जटा खोलते और उससे शाली ग्राम की मूर्ति निकालकर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ उसका स्नान कराते । इसी दृश्य को उनके दो शिष्यों महेश्वरी निवासी राम पांडेय व रामसिंह ने देख लिया। महात्मा से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि यह लक्ष्मीनारायण की मूर्ति है जिसे अब तुम दोनों भक्तों को सौंपता हूं। लक्ष्मीनारायण के मूर्ति स्थापन व उसकी पूजन विधियों को बताकर महात्मा अंतरध्यान हो गए।
विशेष महत्व की कार्तिक पूर्णिमा अहोरात्रि
यूं तो महेश्वरी में बसंत पंचमी तथा जन्माष्टमी को भी अहोरात्रि का आयोजन होता है, लेकिन कार्तिक पूर्णिमा की अहोरात्रि का महेश्वरी में विशेष महत्व है। इस दिन दोपहर को बाबा मंदिर में ध्वजारोहन किया जाता है जिसका अवरोहन 24 घंटे बाद होता है। इस दौरान गांव के किसी भी घर में चूल्हे नहीं जलते या फिर जलाए भी जाते हैं तो सिर्फ प्रसाद तैयार करने के लिए।
असीम आस्था का केन्द्र लक्ष्मीनारायण मंदिर
चावल का चूर्ण, दही व गूड़ को घी में पकाकर बनाया जाता है बाबा का प्रिय प्रसाद दहियोरी। यहां आने वाले भक्तों की मन्नतें पूरी करते हैं लक्ष्मीनारायण यह वजह है कि इस महोत्सव का दायरा अब इतना विस्तृत होता जा रहा है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन हजारों की संख्या में भक्तों के आगमन से इस गांव की सभी गलियां छोटी पड़ जाती है।
चकाई के नवनिर्वाचित विधायक ने की पूजा-अर्चना
स्थानीय विधायक सुमित कुमार सिंह सोमवार को लक्ष्मीनारायण महोत्सव में हिस्सा लेने महेश्वरी पहुंचे तथा पूजा अर्चना की। वहां कई घंटे रहकर ग्रामीणों से इस महोत्सव की ऐतिहासिक जानकारी ली। ग्रामीणों ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन महेश्वरी आने की परम्परा भी उनके परिवार से भी जुड़ी है। तभी उनके दादाजी स्व. श्रीकृष्णा सिंह भी यहां आया करते थे। कालांतर में उनके पिता नरेन्द्र सिंह भी इस मौके पर कई बार महेश्वरी आए। लक्ष्मीनारायण महोत्सव में प्रतिवर्ष उनके परिवार का कोई न कोई सदस्य यहां हमेशा अपनी उपस्थिति दर्ज कराता रहा है।