रांची ।
झारखंड के डीजीपी एमवी राव बने रहेंगे। इनकी नियुक्ति को चुनौती देनेवाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें झारखंड के डीजीपी एमवी राव की नियुक्ति को चुनौती दी गई थी। अदालत ने कहा है कि यह सर्विस मैटर से जुड़ा मामला है। इसे जनहित याचिका नहीं माना जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट में प्रह्लाद सिंह ने याचिका दाखिल कर डीजीपी की नियुक्ति को चुनौती दी थी। बुधवार को करीब 15 मिनट तक चली सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए याचिका को खारिज करते हुए याचिका को निष्पादित कर दी है।
झारखंड सरकार की ओर से उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन, महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बहस की। प्रह्लाद सिंह की तरफ से सीनियर अधिवक्ता वेंकट रमण हाजिर थे।
सुप्रीम कोर्ट में झारखंड सरकार के महाधिवक्ता ने कहा कि प्रह्लाद नारायण सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका मेंटेनेबल नहीं है। यूपीएससी के पैनल से नाम आयेगा तो सरकार डीजीपी की स्थायी नियुक्ति करेगी।
आपको बता दें कि 13 मार्च को राज्य सरकार ने पूर्व डीजीपी कमल नयन चौबे का तबादला कर दिया था। उनकी जगह एमवी राव को डीजीपी बनाया गया था। इस मामले में प्रह्लाद नारायण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर नियुक्ति को चुनौती दी थी।
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार द्वारा डीजीपी के लिए तीन अधिकारियों के नाम का पैनल बनाने के लिए पांच अधिकारियों के नामों की सूची यूपीएससी को भेजी गयी थी, तो यूपीएससी ने इस पर आपत्ति जता दी थी। इस दौरान यूपीएससी द्वारा पूछा गया था कि कमल नयन चौबे को दो साल से पहले कैसे हटाया गया। सरकार ने अपना पक्ष यूपीएससी को भेज दिया है। इसमें कमल नयन चौबे को डीजीपी के पद से हटाने की वजह भी बताई गई है।