बिहार/ जमुई।
बिहार राज्य के जमुई जिले में चकाई प्रखंड स्थित है चकाई बाजार और खास चकाई के बीचो-बीच गोला दुर्गा मंदिर। इस शक्तिपीठ मंदिर में माँ दुर्गा की पूजा अर्चना कलश स्थापना के साथ ही शुरू हो जाती है. माता के इस मंदिर का इतिहास है कि गोला दुर्गा मंदिर में अंग्रेजों के शासन काल से ही यहाँ लोग भक्ति भाव से माँ जगदम्बे की अराधना करते आ रहे है.
मंदिर के पुजारी श्री चक्र पाणी मिश्रा बताते है कि इस मंदिर को लगभग 153 साल पूर्व खास चकाई कानूनगो बंगला निवासी एवं बौसी राज्य के दीवान बिष्णु प्रसाद ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. कुछ दिनों तक अपने से मूर्ति स्थापित कर पूजा-पाठ कराने के उपरांत उन्होंने इस मंदिर का पूजा कराने का कार्यभार चकाई के टिकैत चंडी प्रसाद को सौंप दिया गया. उसके बाद टिकैत के बंसज ने 1989 में दुर्गा पूजा कमिटी गोला चकाई की स्थापना की गयी. इसमे अनेक सदस्य बनाये गए और इन्ही सदस्यों के द्वारा अब मूर्ति स्थापना कर माँ शक्ति स्वरूपा की आराधना और पूजा अर्चना की जाती है.
माँ की शक्ति का प्रभाव पुजारी कुछ ऐसा बताते है कि जो कोई थक हार कर यहाँ माँ के शरण में आते है और धरना देते है उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. साथ ही मनोकामना पूर्ण होने पर हज़ारो के संख्या में महाअष्टमी और नवमीं के दिन हज़ारो बकरे की बलि भी यहाँ दी जाती है.
वही सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष कन्हैया लाल गुप्ता का कहना है कि यहाँ माँ की शक्ति ऐसी है की दान स्वरुप सम्पूर्ण पूजा खर्च देने वाले दाता का तांता लगा हुआ है. साथ ही इस साल दान स्वरुप चांदी के तीन मुकुट माँ दुर्गा को भक्तो के द्वारा पहनाया जायगा। जिसका वज़न लगभग 750 ग्राम बताया गया है. साथ में उन्होंने यह भी बताया कि पूर्व में भी मंदिर ट्रस्ट के नाम पर सोना,चांदी और राशि जमा है.
कन्हैया जी ने बताया कि पहले धन राशि की कमी होती थी. पर माँ की असीम कृपा से अब उसकी कोई कमी नहीं है और लोग हर साल लाइन में लगकर सम्पूर्ण पूजा का भार उठाने को तैयार है. उन्होंने संवेदना जाहिर करते हुए कहा कि आज पूजा समिति के और मेरे परम सहयोगी सलाहकार प्रो प्रदीप कुमार हमलोग के बीच नहीं रहे. लेकिन उनके द्वारा दिए गए उचित सुझाव को पूजा समिति हर समय मानेगी।