नई दिल्ली: इंसान के हौसले बुलंद हों और उसमें कुछ कर गुजरने की ललक हो तो ऐसा कोई कार्य नहीं जो वह नहीं कर सकता। जी हां बुलंद हौसले और कुछ कर गुजरने के संकल्प को चरितार्थ कर दिखाया है पीलीभीत जनपद के मझोला क्षेत्र के मझारा फार्म के लाल सिमरनजीत सिंह ने। सिमरनजीत टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। सिमरनजीत के परिवार का एक ही सपना है कि हॉकी टीम स्वर्ण जीते।
सिमरनजीत के पिता इकबाल सिंह को अपने बेटे की उपलब्धि पर गर्व है। उन्होंने कहा, “मैं अपने आप को भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं। यहां तक पहुंचना बड़ी बात है। सिमरनजीत ने कड़ी मेहनत से भारतीय टीम में जगह बनाई है। वह अपने बल पर आगे बढ़ता रहा और आज परिणाम सबके सामने है।”
बता दें कि मझारा फार्म में बिजली,सड़क सहित कई मूलभूत सुविधाओं की कमी थी, बावजूद इसके पिता इकबाल ने सिमरनजीत में बाल्यकाल से ही खेल के प्रति दिवानगी को देखते हुए सब तरह की सुविधाएं मझारा फार्म में ही उपलब्ध कराईं और बड़े होने पर उन्हें प्रशिक्षण के लिए चंडीगढ़ भेजा।
उन्होंने कहा, “हमारे क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं की कमी थी,सिमरनजीत में हॉकी के प्रति दिवानगी को देखते हुए हमने उन्हें चंडीगढ़ भेजा,जहां उन्होंने सुरजीत हॉकी एकेडमी में हॉकी की बारिकियां सीखीं और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।”
उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह सिमरनजीत ने 2016 पुरुष जूनियर हॉकी विश्व कप फाइनल में खेला,ठीक उसी तरह के प्रदर्शन को दोहराते हुए वह देश को पदक दिला कर लौटेगा। सिमरन ने ओलंपिक हॉकी टीम का हिस्सा बनकर जिले का नाम रोशन किया है। अब उम्मीद है कि सिमरन की स्टिक से होने वाले गोल टोक्यों में कामयाबी का डंका बजाएंगे।”
बता दें कि सिमरनजीत ने पंजाब के बटाला में चीमा हॉकी एकेडमी में खेल के दांवपेच सीखे। वहीं वे अपने ताया के साथ रहते हैं। वर्ष 2006-07 में जूनियर हॉकी कप में उन्होंने एंट्री की थी। इसके बाद मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2016 में जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप के फाइनल में सिमरनजीत के गोल से ही भारतीय टीम विश्व विजेता बनी थी। वर्ष 2017 में वह भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा बने और बेंगलुरु में कैंप कर रही टीम के साथ प्रशिक्षण लिया।