spot_img
spot_img

बेवजह का अहं पालिये, झारखण्ड को गर्त में मिलाइये और इमर्जिंग झारखण्ड का सभी को च्यवनप्राश खिलाइये

Written by: कृष्ण बिहारी मिश्र

कल राज्य में दो घटनाएं घटी। एक घटना केन्द्र सरकार ने की, जब उसने घोषणा कर दी कि देवघर स्थित एम्स के ओपीडी का जो उद्घाटन होनेवाला था, उसे स्थगित कर दिया गया है। कारण क्या था, इस पर हम पूर्व में भी विस्तार से चर्चा कर चुके हैं, इस आलेख में भी करेंगे और दूसरी घटना ये थी कि झामुमो का बहरागोड़ा का विधायक समीर मोहंती, वो 210 किलोमीटर की दूरी तय कर रांची पहुंच गया, सिर्फ इसलिए कि उसके चाहनेवालों को टेंडर मिल जाये।

अब कोई विधायक अपने चाहनेवालों को टेंडर दिलाने के लिए इतनी बड़ी दूरी तय कर लें, तो समझ लीजिये कि इमर्जिंग झारखण्ड के नाम पर राज्य में क्या चल रहा हैं? और जब इस समीर मोहंती को मीडिया के कुछ लोगों ने देखा, उसका पीछा किया तो बहुत ही शातिर तरीके से समीर मोहंती ने मीडिया पर ही तोहमत लगा दिया कि वो भाजपा के इशारे पर काम कर रही हैं, हमें लगता है कि मीडिया को समीर मोहंती के पीछे जाना नहीं चाहिए था, उसका मनोबल बढ़ाना चाहिए था ताकि उसके लोगों को आराम से टेंडर मिल जाये, उसकी मनोकामना पूरी हो जाये।

पर सवाल उठता है कि जिसकी सरकार चल रही हैं, जिसके इशारे पर पुलिस उठक-बैठक करने को तैयार है, उसको टेंडर मैनेज करने के लिए बहरागोड़ा से रांची आने की क्या जरुरत है? उसे तो फोन घुमाते ही ये सारा काम हो जाता, खैर, बेचारे को लगता है कि नया-नया विधायक बना है, आदत रही हैं, आफिस-आफिस घूमने की, तो वो विधायक बनने के बाद भी आफिस-आफिस घूम रहा हैं, और अपनी इज्जत का फलूदा बना दे रहा है।

उधर, देश कोरोना से परेशान है। जनता ज्यादा से ज्यादा अस्पताल खुले, लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले, इस पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं, लेकिन दुर्भाग्य झारखण्ड का देखिये, केन्द्र ने गोड्डा के भाजपा सांसद के एक इशारे पर देवघर में एम्स दे दिया। उस एम्स के ओपीडी का कल यानी 26 जून को उद्घाटन होना था। राज्य सरकार व देवघर के उपायुक्त की मेहरबानी कहिये या जो कह लीजिये, उद्घाटन कार्यक्रम स्थगित हो गया।

दरअसल राज्य सरकार और देवघर प्रशासन को डा. निशिकांत दूबे फूटी आंख भी नहीं सुहाते। ये दोनों नहीं चाहते थे कि उद्घाटन कार्यक्रम में डा. निशिकांत दूबे सशरीर उपस्थित हो। इसलिए इन दोनों ने खूब जोर लगाया और उधर डा. निशिकांत दूबे ने भी थोड़ा जोर लगा दिया, भला कोई व्यक्ति या सांसद ये कैसे बर्दाश्त करेगा कि उसके द्वारा किये गये कार्य की मलाई दूसरा कोई चाभ लें, दिखाई बुद्धि लीजिये उद्घाटन कार्यक्रम ही स्थगित।

पर इससे नुकसान किसका हुआ, हमें लगता है कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को तनिक भी नुकसान नहीं हुआ होगा, और न ही देवघर के उपायुक्त को, क्योंकि ये दोनों बीमार पड़ेंगे तो इनके लिए दिल्ली, मुंबई आदि महानगर में बसे अस्पताल और इन्हें वहां तक पहुंचाने के लिए जनता के पैसों पर मिलनेवाले चार्टर्ड प्लेन और हेलीकॉप्टर तो हैं ही, मर गई जनता, और जनता तो मरने के लिए ही बनी है।

कमाल है, गजब का इमर्जिंग झारखण्ड है भाई। रांची में एक औषधि निदेशक है। वो रिम्स के डायरेक्टर को पैरवी पत्र लिखता है और कहता है कि फलांने को दवा की दुकान खोलने के लिए स्थान उपलब्ध करा दो, देखते ही देखते उस फलांने को मदद करने के लिए बेचारे दवाई दोस्त नामक संस्थान को ही सूली पर लटकाने के लिए प्रबंध कर लिया जाता हैं, छापेमारी होती है, बताया जाता है कि भारी गड़बड़ियां हैं, पर गड़बड़ियां जैसा कुछ है ही नहीं।

आगे देखिये, रांची में रेमडेसिविर दवा कांड होता है। उसमें बड़े-बड़े अधिकारी व नेता फंस रहे हैं, और उन्हें बचाने के लिए तरह-तरह की स्कीमें लागू की जा रही है, ऐसी-ऐसी स्कीमें जिसमें अनिल पालटा जैसे पुलिस अधिकारियों को तबादला ही कर दिया जाता है, ये अलग बात है कि उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के कारण अनिल पालटा अभी भी इस मामले को देख रहे हैं।

रुपा तिर्की मामला तो पता ही होगा, एक महिला थानेदार, आदिवासी महिला थानेदार। उसकी संदेहास्पद मौत हो जाती है। उसके परिवार के लोग व समाज के लोग सीबीआई जांच की मांग करते हैं, लेकिन ये क्या रुपा तिर्की के पिता पर ही केस लाद दिया जाता है, पता नहीं कहां से ये महान विभूतियां दिमाग लगा देती है।

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की तरह, इस सरकार में भी हर थानेदार कनफूंकवों (अब परिक्रमाधारी) के इशारे पर किसी के भी खिलाफ झूठे मुकदमें दर्ज कर ले रहा हैं, और वो इन्सान जिसने कोई कांड किया ही नहीं, थाने और अदालत की चक्कर काट कर जिंदगी तबाह कर रहा है। आखिर इन सभी पापों का जिम्मेदार कौन है? सरकार कितने दिनों तक चलेगी, डेढ़ साल तो बीत गये, साढ़े तीन साल बाकी है, क्या आप में इतने हिम्मत है कि आप इन पापों से मुक्त हो जायेंगे।

पिछले दिनों युवाओं ने बेरोजगारी को लेकर मुद्दा बनाया, आपने कह दिया कि “आज मैंने राज्य के मुख्य सचिव, कार्मिक विभाग की प्रधान सचिव, झारखण्ड कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष एवं महाधिवक्ता के साथ बैठक कर विभिन्न विभागों में रिक्त पदों को यथाशीघ्र भरने का निर्देश दिया है। साथ ही एक माह के अंदर नियुक्ति से संबंधित नियमावलियों में जितनी भी विसंगतियां हैं, उसे जल्द दूर कर विज्ञापन प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया है ताकि राज्य के युवाओं को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिले और विभिन्न विभागों में रिक्त पड़े पदों को भरा जा सकें।”

अरे भाई मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन जी, पहले ये सब लिखने के पहले जनता को ये तो बताइये कि स्थानीय नीति कौन सा होगा, बाबू लाल मरांडी वाला या रघुवर दास वाला, क्योंकि आपने तो पहले कहा था कि आप रघुवर दास वाला मानेंगे नहीं, तो माना जाये कि बाबू लाल मरांडी वाला होगा या अपना दिमाग लगायेंगे, परिक्रमाधारियों से पूछेंगे और वे क्या बतायेंगे, वो तो संकल्प कर चुके हैं आपको सत्ता से हटाने का और भाजपा को लाने का।

नहीं विश्वास है तो उनकी हरकतों को देखिये। आज झारखण्ड का बेरोजगार युवा रोजगार देने के नाम पर आपको ट्रोल कर रहा हैं, आपसे सवाल पूछ रहा है। आदिवासी समाज भी आपको रुपा तिर्की और टीएसी मामले पर कटघरे में रख रहा है, तो ऐसे में आनेवाले समय में आपको सत्ता में कौन लायेगा, जरा ध्यान दीजिये, नहीं तो जो हो रहा है, परिक्रमाधारियों ने जो खंदक आपके लिए बना दिये, उस खंदक से अब आप बच नहीं पायेंगे।

(लेखक झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Hot Topics

Related Articles

Don`t copy text!