रांची।
2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद लगभग राजनीतिक हाशिए पर आए राज्य के पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री रहे रघुवर दास फिर से चर्चा में हैं। इस बार चर्चा उनकी एक तस्वीर को लेकर है, जिसमें वह उपराजधानी दुमका के एक ग्रामीण परिवेश में एक छोटे बच्चे को अभिवादन करते नजर आ रहे हैं। हालांकि, पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के बाद रघुवर दास अपनी विधायकी हार गए। लेकिन उनकी हार को कॉम्पेनसेट करते हुए बीजेपी ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है।
क्यों चर्चा है तस्वीर की ?
अब बात करें उस तस्वीर की जिसने फिर से रघुवर दास को चर्चा में ला दिया है। सबसे बड़ी बात यह है कि रघुवर दास ने अपने ऑफिशियल फेसबुक वाल पर ये तस्वीर शेयर की है। इस तस्वीर में रघुवर दास मुस्कुराते हुए हाथ जोड़कर एक बच्चे का अभिवादन कर रहे, बच्चा भी उन्हें हाथ जोड़ खड़ा है। जो चर्चा में है। दरअसल, राज्य में दुमका और बेरमो विधानसभा इलाके में उपचुनाव होना है। ऐसे में रघुवर दास चुनावी बयार में हवा का रुख बीजेपी की तरफ़ करने के मकसद से निकले हैं। दास झारखंड के वैसे पहले सीएम हैं जिन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। यह रिकॉर्ड अभी भी उनके नाम है। लेकिन, उनके सीएम बनने के बाद न केवल उनके दरवाजे पर पार्टी के कार्यकर्ता जाने से कतराने लगे थे, बल्कि, उनका शुरु किया गया जनता दरबार भी लम्बे समय तक टिक नहीं पाया था। हालांकि उनके कार्यकाल में जनसंवाद और सीधी बात जैसे कार्यक्रम शुरू हुए लेकिन उसके आंकड़े पर सवाल खड़े हुए।
तत्कालीन मंत्री ने उठाये थे सवाल, फिर किया रास्ता अलग
राज्य के पूर्व मंत्री सरयू राय ने कैबिनेट में रहकर तत्कालीन सीएम रघुवर दास के फैसलों को खुली चुनौती दी। इसका उन्हें खामियाजा भी भुगतना पड़ा। बीजेपी ने उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट से वंचित कर दिया। हालांकि राय ने दास के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ा औऱ उन्हें करारी शिकस्त दी।
नाम नहीं छापने की शर्त पर संथाल परगना इलाके से बीजेपी के एक विधायक ने कहा कि तत्कालीन सीएम के साथ एकतरफा संवाद जैसी स्थिति थी। उनके कैबिनेट में मंत्री रहे विधायक ने कहा कि सरकार के फैसलों में उनकी राय तक नहीं ली जाती थी। उन्होंने कहा कि जन प्रतिनिधि के रूप में जिस तरह पूर्व सीएम अभी विनम्रता दिखा रहे हैं अगर ऐसी स्थिति पहले होती तो बीजेपी सत्ता से बाहर नहीं होती।