दुमका।
दुमका जिले के जरमुंडी प्रखंड के सठियारी गांव में एक आदिवासी परिवार की युवती को परिजनों द्वारा लोहे की बेड़ियों में जकड़ कर रखा गया है.
परिजन कहते हैं कि 20 वर्षीय इस युवती की दिमागी हालत ठीक नहीं है, जिस कारण इसके पैरों में जंजीर डाल दिया गया है ताकि वह इधर-उधर भाग ना जाये।
बता दें कि कालाजार प्रभावित यह वही सठियारी गांव है जहां 5 दिन पहले कालाजार से एक आदिवासी व्यक्ति सनातन मरांडी की मृत्यु हो गई थी और सनातन की मौत के बाद स्थानीय विधायक सह सूबे के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने गांव पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया था। इसी दौरान कृषि मंत्री ने आदिवासी युवती की दशा को देखकर दुमका के सिविल सर्जन को पीड़ित के उचित इलाज के लिए तत्काल रिनपास भिजवाने का निर्देश दिया था, बावजूद इसके अब तक इस युवती को परिजन घर में ही रखे हुए हैं और भूत-प्रेत का साया मानकर झाड़-फूंक जैसे उपचार पर विश्वास कर रहे हैं।
इससे यह साफ जाहिर होता है कि आज के आधुनिक युग में भी अंधविश्वास हावी है और सुदूर ग्रामीण इलाकों में यह तो और भी फल-फूल रहा है, यही वजह है कि इलाज के बजाय झाड़-फूंक के चक्कर में विश्वास कर लोग अपनी जान तक गवा रहे हैं।