देवघर।
साइंस एंड मैथेमेटिक्स डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशन तथा विवेकानंद शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा संस्थान के युग्म बैनर तले वैज्ञानिक सत्येन्द्रनाथ बोस की 125 वीं जयंती के अवसर पर अण्डमान निकोबार द्वीपसमूह के पोर्ट ब्लेयर स्थित टी. एस. जी. एमेराल्ड व्यू के भव्य सभागार में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मान समारोह में अपने शहर के यशस्वी भौतिकविद, गुरुकुल कोचिंग संस्थान के संस्थापक रवि शंकर को सम्मानित किया गया।
वैज्ञानिक सत्येंद्रनाथ बोस स्मृति सम्मान
साइंस आर्गेनाईजेशन के राष्ट्रीय सचिव डॉ. प्रदीप कुमार सिंह देव, ओड़िशा के विज्ञानविद डॉ. नीलाचल साहू, डॉ. सरोजिनी साहू, अण्डमान लक्षदीप हर्बोर वर्क्स के मुख्य अभियंता ई. टी.एन. कृष्णमूर्ति, दिल्ली एमिटी इंटरनेशनल स्कूल की विज्ञान शिक्षिका प्रेम कुमारी नारंग व अन्य शिक्षाविदों के करकमलों से वैज्ञानिक सत्येन्द्रनाथ बोस स्मृति सम्मान की मानद उपाधि से रवि शंकर को अलंकृत एवं विभूषित की गई।
रवि शंकर का रहा है अहम योगदान
जानकारी हो कि रवि शंकर ने आईआईटी गुवाहाटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। साथ ही उन्होंने टाटा स्टील और एनटीपीसी में बतौर इंजीनियर कार्य किया। उन्होंने इसरो के रॉकेट नोजल के मटेरियल डेवलपमेंट में अपना योगदान दिया था, जब भारत सरकार ने अटल बिहारी वाजपेई के समय में पोखरण 2 टेस्ट कराया था। उस समय वे भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई के रोबोटिक्स डिवीजन में अपना योगदान दे रहे थे। इनके अलावे उन्होंने बतौर रक्षा वैज्ञानिक हैदराबाद के (डी आर डी ओ) के अग्नि मिसाइल डिवीजन में काम किया। उन्होंने अग्नि 1 तथा अग्नि 2 के कंट्रोल सिस्टम में भी काम किया। उन्होंने बतौर टेक्निकल एक्सपर्ट कई महत्वपूर्ण रिसर्च सेंटर जैसे आर्मामेंट डेवलपमेंट डिविजन, बैंगलोर, आर्मामेंट डिवीजन पुणे आदि में भी ट्रेनिंग प्राप्त की। इस तरह के दर्जनों रिसर्च लैब में उन्होंने ट्रेनिंग प्राप्त किया, और इन लैब्स के गूढ़ बातों की जानकारी प्राप्त की। इन उपलब्धियों के आधार पर उन्हें एपीजे अब्दुल कलाम के द्वारा स्थापित संस्थान इंडियन नेशनल सोसायटी फॉर एयरोस्पेस एंड रिलेटेड मेकैनिज्म का आजीवन सदस्यता भी प्राप्त की।
12 सालों से रवि शंकर के छात्र लहरा रहे परचम
विगत 12 वर्षों से देवघर में गुरुकुल नामक कोचिंग संस्थान चला रहे हैं जहां उनके बच्चे आईआईटी और मेडिकल के संस्थानों में अपना परचम लहरा रहे हैं ।
उन्हें इस सम्मान की प्राप्ति के बाद शहर के अलावे देश-विदेश के विज्ञानविद शुभकामनाएँ प्रेषित कर रहे हैं। शहर को ऐसे विज्ञानविद पर गर्व है।