गिरिडीह।
झारखंड सरकार के सरेंडर पॉलिसी का सकारात्मक असर अब दिखने लगा है. बारी-बारी से मारक दस्ते के हार्डकोर नक्सली भी अब आत्मसमर्पण का रुख कर रहे हैं। इस बार गिरिडीह एसपी सुरेन्द्र झा के प्रयास से जिले के पीरटांड़ प्रखंड के नावाडीह निवासी झारखंड बिहार स्पेशल कमिटी के सदस्य प्रवीर उर्फ़ बलबीर उर्फ़ चरका उर्फ़ बाराती महतो ने गिरिडीह पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।सरेंडर कार्यक्रम में गिरिडीह डीडीसी मुकुंद दास, सीआरपीएफ के अनिल शर्मा, एएसपी दीपक कुमार मुख्य रूप से उपस्थित थे।
असल में झारखण्ड सरकार ने परवीर उर्फ़ बलबीर पर 25 लाख का इनाम घोषित कर रखा था। यह इनामी नक्सली पिछले कई सालो से संथाल परगना के इलाके में जोनल कमांडर था। बलबीर पर पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार की हत्या, गिरिडीह जेल के कैदी वाहन पर हमला, चाईबासा में पुलिस पार्टी पर हमला समेत गिरिडीह और संथाल परगना में दो दर्जन से अधिक मामले दर्ज है। लम्बे समय से गिरिडीह पुलिस को इसकी तलाश थी। इस बात की पुष्टि एसपी सुरेन्द्र झा ने की।
इस बाबत हजारीबाग के डीआईजी पंकज कंबोज ने बताया कि पुलिस ने बलबीर के परिजनों को झारखण्ड सरकार के सरेंडर पॉलिसी की अहमियत को बताते हुए जागरूक किया। बलबीर के परिजनों को गिरिडीह पुलिस ने बताया कि छह माह पहले भी इसी इलाके से बाबूचन ने सरेंडर पॉलिसी का फायदा लेते हुए समाज की मुख्य धारा से जुड़ा है। गिरिडीह पुलिस की इसी जागरूकता अभियान का नतीजा है कि बलबीर ने आज गिरिडीह पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। उन्होंने बताया कि नक्सली सरेंडर करें नहीं हो पुलिस की गोली के शिकार होंगें। उन्होंने बताया कि बलबीर महतो को सरकार द्वारा प्रदत्त सभी सुविधाएं दी जायेगी। तत्काल उसे 2 लाख रुपये दिये गए है।
आत्मसमर्पण के बाद स्पेशल एरिया कमेटी के सदस्य व 25 लाख रुपये के इनामी हार्डकोर माओवादी बलबीर महतो उर्फ रोशन ने बताया कि भाकपा माओवादी संगठन में गुटबाजी हावी है और युवकों को बरगला कर नक्सली संगठन में शामिल किया जा रहा है।इन्होंने कहा कि संगठन में अराजक स्थिति से आजिज आकर इनसे मुख्य धारा से जुड़ने का मन बनाया।
बहरहाल,बलबीर का आत्मसमर्पण पुलिस के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। उम्मीद की जा रही है कि इस इनामी नक्सली के रास्ते पर और भी कई नक्सली चल पड़ेंगे।