रांची।
कहां तो तय था चिराग हर एक घर के लिए…. कहाँ एक चिराग भी मयस्सर नहीं शहर के लिए, दुष्यंत कुमार की ये पक्तियां झारखंड राज्य की लचर बिजली व्यवस्था की कहानी बयां कर रही है…. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सूबे में 24 घंटे बिजली देने की बात की थी. वहीं दूसरी ओर आम जनता बिजली की आंखमिचैली से खासा परेशान है।
बिजली का घंटो इंतजार, रोजमर्रा के कामों में परेशानी, छात्र मोमबत्ती के सहारे….. ये नजारा आम है राजधानी रांची में जहां बिजली की आंखमिचैली से लोग खासा परेशान है. गौरतलब है कि राजधानी में 260 मेगावाट की जगह मात्र 180 वाट ही बिजली मिल रही है. जिसके कारण छह से सात घंटेे लोडशेडिग की जा रही है. उसपर सोने पर सुहाग ये है कि मेंटेनेंस और आरएपीडीआरपी वर्क के कारण कई इलाकों में घंटो बिजली काटी जा रही है. जबकि बिजली विभाग इस बात को मानने को तैयार नहीं है.
उनका कहना है कि राजधानी रांची को फुल बिजली मुहैया हो रही है. हालांकि वे मेंटनेंस के नाम पर बिजली काटे जाने की बात कर रहे है पर इन सब से अलग रांची की जनता बिजली ना होने की वजह से नाराज नजर आ रही है.
बिजली की कमी की वजह से आधुनिक पावर प्लांट की एक युनिट में आयी खराबी बतायी जा रही है. डीवीसी भी भारी बकाये के कारण अपने कमांड एरिया में बिजली की कटौती कर रहा है। वहीं टीवीएनएल की हालत भी खस्ता है। कोयल की आपूर्ति बाधित होने के कारण एक यूनिट में काम ठप्प हो गया है , बिजली की कमी का असर अब उघोगो पर नजर आने लगा है।
उघोगकर्मियो की मानें तो बिजली की कमी के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड रहा है. घंटो बिजली बाधित रहने के करण डीजल पर फैक्ट्री चलानी पड रही है। जो उनकी जेब पर भारी पड रही है. ऐसे में राज्य के मुखिया का 24 घंटे बिजलीे देने की बात किसी मजाक से कम नहीं।
गौरतलब है कि जब राजधानी रांची का ये सूरतेहाल है तो ग्रामीण इलाकों में बिजली की कैसी व्यवस्था होगी। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है। राज्य के 11 से अधिक जिलो में 10 घंटे से अधिक लोडशेडिग की जा रही है. आम जनजीवन इससे अस्त-व्यस्त हो रहा है। वहीं सरकार अपनी वाहवाही करनेे में व्यस्त है. सरकार अगर डीबीसी का बकाया रकम मुहैया करा दे तोे आम लोगों को हो रही बिजली की परेशानी से निजात मिल सकती हैं.