गिरिडीह।
कहां तो तय था चिराग हर एक घर के लिए, कहां मयस्सर नहीं शहर के लिए, यहां दरख्तों के साए में धूप लगती है, चलो यहां से चले और उम्र भर के लिए। सांसद आदर्श ग्राम की तस्वीर को देखकर अनायास सी दुष्यंत याद आ गए। उनकी यह पंक्तियां इस गांव की सूरत और सीरत पर सटीक बैठती है। इस गांव में शहनाईयाँ नहीं बजती है.
सांसद आदर्श गांव के रूप में चयनित गिरिडीह जिले के धनवार प्रखंड के गादी पंचायत के चौंढी गांव आज भी विकास योजना से उपेक्षित है. कोडरमा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाला इस गांव को सांसद आदर्श ग्राम के रूप में चयनित किया गया तो लोगों की उम्मीदों को मानो पर लग गया हो। हर और उत्साह का माहौल था। लेकिन वक्त के साथ ही इनका उत्साह काफूर हो गया। और तमाम उम्मीदें धरी की धरी रह गई। आज आलम यह है कि तमाम मूलभूत सुविधाओं से महरूम इस गांव में लोग कोई रिश्ता तक जोड़ना नहीं चाहते।
कोडरमा सांसद डॉ रविंद्र राय नें इस गांव को जब गोद लिया था तो लंबी चौड़ी लफ्फाजीयाँ गढ़ी गई थी। पानी- बिजली, सड़क- स्कूल ,हॉस्पिटल आदि से इस गांव को सुसज्जित करने की बातें हुई थी। लेकिन आज सांसद का टेन्योर खत्म होने को आ गया। फिर भी इस गांव की तस्वीर और तकदीर नहीं बदल पाई।
ग्रामीणों का कहना है कि यहां के ज्यादातर युवा पीढ़ी के लोग बाहर ही रह कर अपना पठन-पाठन या रोजी रोजगार करते हैं। क्योंकि इस गांव में किसी भी तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है।
लोगों का कहना है कि इस गांव में सड़क की दुर्दशा की वजह से ना तो कोई रिश्तेदार आना चाहते हैं और ना ही कोई वैवाहिक संबंध ही इस गांव से जुड़ना चाहता है। ग्रामीणों का कहना है कि पेयजल और पटवन की असुविधा के कारण खेती किसानी में भी यहां भारी परेशानी हो रही है।
बहरहाल ,कुल मिलाकर सांसद आदर्श ग्राम के नाम पर यहां सिर्फ और सिर्फ ग्रामीणों को ठगा ही गया है।जमीनी हकीकत आदर्श शब्द से कोषों दूर है और यह गांव सरकार की कथनी व करनी का फर्क चीख-चीख कर बयां कर रही है।