गिरिडीह।
बिहार-झारखण्ड सीमा पर गिरिडीह पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है. पुलिस और सीआरपीएफ के संयुक्त सर्च अभियान में गिरिडीह पुलिस ने एक हार्डकोर नक्सली समेत तीन संदिग्ध को हिरासत में लिया है.
हिरासत में लिए गए संदिग्ध के निशानदेही पर पुलिस ने एक बंकर को ध्वस्त किया। बंकर से पुलिस ने दो क़्वींटल एल्मुनियम नाइट्रेट, 1500 मीटर कॉर्डेक्स वायर और 10 बंडल फ्यूज वायर समेत कई आपत्तिजनक सामान बरामद किया है. दरअसल बिहार-झारखण्ड के सीमा क्षेत्र में नक्सलियों ने एक खौफनाक पटकथा की इबारत लिखने के लिए मौत का सामान जमा किया था. लेकिन पुलिस की सूझबूझ से भाकपा माओवादियों के मंसूबे पर पानी फिर गया.
बताया जाता है कि पारसनाथ के जंगल से नक्सली बैकफुट में आने के बाद बिहार के जमुई सीमा क्षेत्र में इनदिनों नक्सलियों ने अपनी गतिविधि काफी बढ़ा दी थी. इसी बीच गिरिडीह पुलिस कप्तान सुरेन्द्र कुमार झा को नक्सली गतिविधि की भनक मिलते ही बिहार के सीमावर्ती इलाके में सर्च अभियान तेज कर दिया।
सर्च अभियान के दौरान ही एसपी को सूचना मिली कि बिहार सीमा स्थित मंझलाडीह और भटुआकुरा जंगल मे नक्सली का जत्था कैंप कर रहा है. पुलिस ने सूचना के आलोक में घेराबंदी कर बगैर गोली चलाये हार्डकोर नक्सली रामा सिंह समेत तीन संदिग्ध को हिरासत में लिया गया है. बताया जाता है कि रामा सिंह के निशानदेही पर पुलिस ने एक बंकर भी ध्वस्त किया।
आपको बता दे कि गिरिडीह एसपी सुरेंद्र कुमार झा के नेतृत्व में नक्सलियों के रेड कॉरिडोर को समाप्त करने की मुहिम जोरदार ढंग से छेड़ी गई है। इस मुहिम के तहत लगातार पूरे इलाके को खंगाला जा रहा है। इस दौरान नक्सलियों को खदेड़ने की हर मुमकिन कोशिश की जा रही है। इस क्रम में कई छोटे-बड़े नक्सली दबोचे भी गए हैं. वही कई कद्दावर नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए पुलिस ने तगड़ी तैयारी की है। लगातार हर मोर्चे पर मुह की खाते नक्सली इन सब से बौखला कर इस बार पुलिस को मात देने के लिए जंगल में मौत के सामान को जमा कर रहे थे.
इस बावत एसपी सुरेन्द्र कुमार झा ने बताया कि गिरिडीह जिले को नक्सल मुक्त बनाने के लिए वे और उनकी टीम कृतसंकल्पित है। इसी को लेकर लगातार पूरे इलाके में सघन अभियान छेड़ा गया है। बहरहाल, रेड कॉरिडोर को तबाह होता देख वाकई नक्सली बौखला गए हैं। यही वजह है कि इस बार नक्सलियों ने पुलिस को डैमेज़ करने की तगड़ी प्लानिंग की. लिहाजा अब इसे एसपी के मजबूत सूचना तंत्र ही कहा जाये कि वक्त रहते इस योजना की गंध पुलिस को लग गई और नक्सलियों को फिर मुंह की खानी पड़ी।