रांची:
रांची के कांके में एक ही परिवार के सात सदस्यों की चीता एक साथ जली। कांके में रहने वाले झा परिवार के सात सदस्यों ने सोमवार को एक साथ अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी। सोमवार से ही सातों का शव रिम्स के मर्चरी वार्ड में था। बुधवार को दीपक झा के चाचा कृष्णानंद झा के आने के बाद सातों शवो को मुक्ति प्रदान किया गया।
डेढ़ साल के जंगू और सात साल की दृष्टि के शव को दफनाया गया, बाकी पांच शवों का रांची के हरमू मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार किया गया। अपने भाई – भाभी , दो भतीजे और बहु को कृष्णानंद झा ने मुखाग्नि दी।
CBI जांच की मांग:
दीपक झा के चाचा कृष्णानंद झा ने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की। उनके अनुसार घर का दरवाजा का खुला होना, फंदे पर झूलते शव का पैर बेड पर सटा होना, दो-दो जगह फंदे का टुटा होना। कई ऐसी बातें हैं जो शक पैदा करती है। इसलिए मामले की जाँच होनी चाहिए। जरुरी पड़े तो सीबीआई से भी सरकार को जाँच करानी चाहिए।
क्या है मामला:
रांची के कांके थाना क्षेत्र के अरसंडे में दीपक झा के घर से परिवार के सात शवों की बरामदगी हुई थी. बताया जा रहा कि दीपक झा और रुपेश झा ने अपने परिवार के 5 सदस्यों की हत्या कर खुद भी आत्महत्या कर लिया था। रांची पुलिस ने मेडिकल बोर्ड का गठन करवा सभी सात शवों का पोस्टमार्टम भी करवा शव को रिम्स के मर्चरी वार्ड में रखा था। दो दिन तक सबसे बड़ा सवाल यही था कि आखिर सातों शवो का दाह संस्कार कौन करेगा। क्योंकि झा परिवार की बेटी संध्या अपने माता-पिता, दोनो भाई ,भाभी भतीजा – भतीजी की मौत के बाद भी घर नही आई ,जबकि उसका घर उसी मोहल्ले में है।
नहीं आयी बेटी :
गौरतलब है कि संध्या ने अपनी पसंद से शादी की थी जिसके बाद उसे घर से निकाल दिया गया था। अपनी पसंद से शादी करने से आहत परिवार वालों ने संध्या का अंतिम संस्कार कर पितरों को उसके नाम से दान-पुण्य भी कर दिया था। संध्या अपने परिवार वालों से इतनी नफरत करती है कि उनके मौत के बाद भी वह उनसे मिलने नहीं पहुंची। ऐसे में उनके अंतिम संस्कार के लिए भी वह तैयार नहीं हुई। बाद, में चाचा पहुंचे और अंतिम संस्कार किया।