गिरिडीह:
आदिम जनजाति बिरहोर के उत्थान के लिए बातें तो बड़ी-बड़ी होती है लेकिन जमीनी हकीकत की बानगी ऐसी है कि इस भीषण गर्मी में सरिया के मंदरामों बिरहोर टंडा के वासी पेजयल के लिए हलकान हैं।
असल में इन्हें पानी मुहैय्या करने के लिए इस बस्ती में दो पानी टंकी नाम के लिए लगाई गई थी। लेकिन आज 6 माह से एक टंकी बेकार पड़ा है और महज एक टंकी के सहारे ही इनकी पूरी आबादी प्यास बुझा रही है।
बताया गया कि खराब टंकी के बाबत अधिकारियों को सूचना दी जा चुकी है, लेकिन कई माह गुजर जाने के बाद भी इसको कोई देखने वाला नहीं है।
पानी के लिए परेशान बिरहोरों ने बताया कि पेयजल के अलावा नहाने, कपड़ा फ़ीचने में भी इन्हें भारी कठिनाई हो रही है। इन्होंने पेयजल उपलब्ध कराने की मांग संबंधित लोगों से की है।
वही सरिया के सामाजिक कार्यकर्त्ता परमेश्वर मोदी का कहना है कि आदिम जनजाति को बचाने के लिए सरकार कई तरह की योजना चला रही है लेकिन बोरहोर के प्रति स्थानीय प्रशासन और बिरहोर ट्रस्ट इस दिशा में गंभीर नहीं है.