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नौ बच्चों की हत्या की दोषी दो बहनों की फांसी की सजा अब ताजिंदगी जेल की सजा में तब्दील

बांबे हाईकोर्ट (Mumbai High Court) ने 9 बच्चों की हत्या के मामले में आरोपित दो बहनों सीमा गावित और रेणुका शिंदे की फांसी की सजा को मंगलवार को मरने तक आजीवन कारावास की सजा में तब्दील कर दिया।

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Mumbai: बांबे हाईकोर्ट (Mumbai High Court) ने 9 बच्चों की हत्या के मामले में आरोपित दो बहनों सीमा गावित और रेणुका शिंदे की फांसी की सजा को मंगलवार को मरने तक आजीवन कारावास की सजा में तब्दील कर दिया। हाईकोर्ट के जज नितीन जामदार और जज सारंग कोतवाल ने सजा में परिवर्तन करते समय कहा कि इन दोनों की मृत्युदंड की सजा कम करने लायक नहीं है लेकिन राज्य सरकार की ओर से सजा पर अमल न करने की वजह से मजबूरन ऐसा करना पड़ रहा है।

कोल्हापुर जिले में 9 बच्चों की हत्या मामले में सीमा गावित, उसकी बहन रेणुका शिंदे और इन दोनों की मां अंजना गावित को 2001 में सत्र न्यायालय व हाईकोर्ट दोनों ने मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। इस सजा को राज्य सरकार ने लगातार 20 वर्ष लागू नहीं किया, जिससे इस मामले में फांसी की सजा आजीवन कारावास में बदलने के लिए वकील अनिकेत वगल ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

इस मामले अनिकेत वगल व सरकारी पक्ष की जिरह 18 दिसंबर को सुनने के बाद दो जजों की खंडपीठ ने मामले का निर्णय लंबित रख दिया था। मंगलवार को दोनों जजों की खंडपीठ ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि इन दोनों दोषियों की सजा किसी भी कीमत पर कम करने जैसी नहीं है लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी राज्य सरकार इन दोनों की फांसी की सजा को अमल में नहीं ला सकी, इसी वजह से इन दोनों की सजा मरने तक आजीवन कारावास में तब्दील की जाती है।

उल्लेखनीय है कि सीमा गावित, रेणुका शिंदे व इन दोनों की मां अंजना गावित को 1996 में पुलिस ने बच्चों की हत्या मामले में गिरफ्तार किया था। इन तीनों ने 1990 से 1996 तक 42 बच्चों की हत्या का अपराध स्वीकार किया था लेकिन पुलिस को सिर्फ 14 बच्चों के अपहरण व 9 बच्चों की हत्या के सबूत मिल सके थे। इसी बीच आरोपित अंजना गावित की 1998 में मौत हो गई थी। इसके बाद पुलिस ने दोनों आरोपित बहनों के विरुद्ध मिले सबूत के आधार पर मुकदमा चलाया और 2001 में सत्र न्यायालय ने तथा उसी वर्ष हाईकोर्ट ने दोनों महिलाओं को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। इसके बावजूद इन दोनों बहनों के मृत्युदंड का मामला लालफीताशाही में अटका रहा और वर्ष 2020 तक दोनों को फांसी नहीं दी जा सकी। इसी वजह से वकील अनिकेत वगल ने इन दोनों की मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

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