Dumka: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो की अगुवाई में एक टीम सोमवार को झारखंड की उपराजधानी दुमका पहुंची। यहां टीम ने दुमका में जिन दो नाबालिग लड़कियों की हत्या हुई है, उनके परिजनों से मुलाकात की। टीम पहले दुमका पेट्रोल हत्याकांड की शिकार मृतका के परिजनों से मिलने पहुंची। उसके बाद रानीश्वर प्रखंड पहुंची, जहां आदिवासी नाबलिग लड़की की हत्या हुई है।
आयोग के चेयरमैन जब रानीश्वर में मृतका के घर पहुंचे तो पीड़ित परिवार घर में नहीं था। उन्हें पता चला कि कोई उन्हें गाड़ी में बैठा कर ले गया है। इस पर आयोग के अध्यक्ष भड़क उठे, उन्होंने प्रशासन पर असहयोग करने का आरोप लगा इससे संबंधित ट्वीट भी किया। आयोग के चेयरमैन कहना था कि हमने जिले के कलेक्टर को दुमका आने और पीड़ित परिवारों से मिलने की सूचना दे रखी थी। इसके बावजूद उनके द्वारा सहयोग नहीं मिला।
प्रियंक कानूनगो ने ट्वीट कर लिखा-
“दुमका में दो मामलों की जांच के लिए आया हूं, झारखंड सरकार को पूर्व में सूचित किया था कि अनुसूचित जनजाति की जिस बच्ची की बलात्कार के बाद हत्या कर शव को पेड़ से लटका दिया गया था, उसके परिवार से एनसीपीसीआर की टीम मिलेगी। स्थानीय कलेक्टर ने इसकी सहमति भी दी थी। उनके घर जाने का कार्यक्रम तय कर प्रशासन ने सूचना दी थी। लेकिन उनके गांव आने पर घर पर माता-पिता नहीं मिले। पड़ोसियों ने बताया कि हमारे आने के पहले माता पिता को एक जीप में बैठाकर कोई ले गया है। सरकार का ये रवैया बेहद असहयोगात्मक और जांच में रुकावट डालने वाला है।”
अधिकारियों को लगाई फटकार
आयोग के चेयरमैन जब सर्किट हाउस पहुंचे तो वहां उन्होंने दुमका प्रशासन के अधिकारियों को खूब फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि जब मैंने दुमका में मृतका के परिजनों से मिलने की सूचना पहले ही जिले के डीसी को दे दी थी तो परिजनों को बाहर क्यों ले जाया गया। आयोग को बेवकूफ समझा है क्या?
बता दें, कि ऐसी जानकारी मिल रही कि जिस वक्त आयोग की टीम रानीश्वर प्रखण्ड पीड़िता के घर पहुंची उसके पहले ही दुमका बंद का आह्वान करने वालों ने पीड़िता के परिजनों को अपने साथ ले जाकर लोगों से बंद की अपील कर रहे थे।