देवघर: गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत ने अपने निजी आवास पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान देवघर एम्स निर्माण को लेकर विपक्षी पार्टी के द्वारा क्रेडिट लेने के बयानबाजी को दस्तावेजों के जरिये विराम दे दिया है।
डॉ. निशिकांत दुबे ने देवघर को एम्स मिले इसको लेकर अपने हर प्रयास का पत्र, लोकसभा में उठाये गए सवाल और उनके जवाब का दस्तावेज मीडियाकर्मियों को उपलब्ध करवाया। इन दस्तावेजों से यह स्पष्ट हो जाता है कि देवघर एम्स एनडीए गवर्मेंट की देन है।
दस्तावेजों का ब्यौरा देते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान निशिकांत दुबे ने देवघर एम्स की स्वीकृति से लेकर शिलान्यास तक की जानकारी देते हुए कहा कि 12 दिसंबर 2011 को पहली बार लोकसभा में देवघर में एम्स की स्थापना की मांग उठायी थी। 27 जुलाई को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने जवाब देते हुए कहा कि किसी भी कीमत में झारखंड में एम्स नहीं बनेगा। इसके बाद 26 मई 2014 को देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बन गयी और राष्ट्रपति के पहले अभिभाषण में ही विसन डॉक्यूमेंट प्रस्तुत किया गया, जिसमे देश के हर राज्य में एम्स स्थापित करने की घोषणा हुई।
डॉ. निशिकांत ने कहा कि एक जुलाई 2014 को उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि देवघर के देवीपुर में 200 एकड़ जमीन सरकार के पास है, यहां एम्स बनना चाहिए। 23 जुलाई 2014 को सदन में उन्होंने फिर से देवघर एम्स का मुद्दा उठाया, जिस पर तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने राज्य सरकार को पत्र भेजकर तीन स्थानों को चिन्हित करते हुए एम्स के लिए जमीन उपलब्ध कराने को कहा। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका, रांची के इटकी और पलामू में एम्स के लिए जमीन उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू की।
उस वक़्त तत्कालीन मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती ने मुख्यमंत्री को ये बताया कि एम्स के लिए देवघर जिले का देवीपुर ही उपयुक्त है, क्योंकि वहां 200 एकड़ सरकारी भूमि है। इसका खामियाज़ा सजल चक्रवर्ती को भुगतना पड़ा। उनके इस प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उन्हें मुख्य सचिव के पद से हटा दिया था।
निशिकांत दुबे ने कहा कि 2015 में राज्य में रघुवर दास के नेतृत्व में सरकार जब बनी तो उनके और उनकी पत्नी अनामिका गौतम के आग्रह पर रघुवर दास ने बतौर मुख्यमंत्री अपना पहला फाइल जो किया वो देवघर एम्स की फाइल थी और तारीख थी 15 जनवरी 2015 । जिसके बाद 19 जून 2017 को तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट में देवघर एम्स की घोषणा कर दी और 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवघर एम्स का शिलान्यास किया।