Ahemdabad: गुजरात का प्रसिद्ध शक्तिपीठ पावाधाम में शुक्रवार देर शाम श्रद्धालुओं से भरा ट्रॉली रोप-वे पर फंस गया। पिलर नंबर 4 पर केबल उतरने के कारण यह हालात पैदा हुए। हवा में अटके श्रद्धालुओं को बचाने के लिए संचालक कंपनी ने तुरंत ही रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और करीब आधे घंटे के बाद रोप-वे को सुचारू कर दिया गया। हालांकि इस अवधि तक ट्रॉली में फंसे करीब 10 श्रद्धालुओं की सांसें अटकी रहीं। घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस और प्रशासन मौके पर पहुंच गया।
पंचमहाल जिले के पावागढ़ के ऊंचे पहाड़ पर कालिका माता का प्रख्यात मंदिर है। पिछले साल इसी मंदिर पर करीब 500 साल बाद गुंबद पर ध्वजा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फहराई थी। इससे इस मंदिर की देश-विदेश में जबर्दस्त ख्याति फैल गई। श्रद्धालुओं की संख्या में भी यहां खूब बढ़ोतरी देखी गई है। बताया गया कि शुक्रवार देर शाम रोप-वे का केबल उतर गया जिससे एक ट्रॉली ऊपर ही फंस गई। रोप-वे का संचालन करने वाली उषा ब्रेको कंपनी के सूत्रों ने बताया कि केबल उतरने की घटना के बाद एनाउंसमेंट के जरिए श्रद्धालुओं को भयभीत नहीं होने की अपील की गई। इसके बाद संचालकों ने श्रद्धालुओं को सुरक्षित नीचे उतारने के लिए बचाव कार्य शुरू कर दिया। बाद में केबल के पटरी पर आने के साथ रोपवे शुरू हो गया जिससे सभी यात्री सुरक्षित नीचे उतर आए। इधर, घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस और प्रशासन भी मौके पर पहुंच गया।
मानसून में मरम्मत के बाद 12 अगस्त से शुरू हुआ था रोपवे
पंचमहाल जिले का पावागढ़ भी अपने रोपवे के लिए कारण प्रसिद्ध है। ऊंचे पहाड़ पर 51 शक्तिपीठ में से एक कालिका माता का मंदिर बना हुआ है। यहां स्थित 3 तालाब दूधिया, तेलिया और छसिया तालाब मानसून के बाद छलछला गए हैं और अप्रतीम सौंदर्य बिखेर रहे हैं। रोपवे से जहां पर्वत की खूबसूरती दिखाई देती है, वहीं श्रद्धालु रोपवे के अलावा भी 1800 सीढ़ियां चढ़कर माता का दर्शन करना पसंद करते हैं। इस दौरान उन्हें कई प्राकृतिक झरने का देखने का अवसर भी प्राप्त होता है। यहां की रोपवे सेवा को भी मानसून और मरम्मत कार्य से 7 से 11 अगस्त तक बंद कर दिया गया था। साथ ही यहां ऊंचाई पर हवा की रफ्तार अधिक होने पर रोपवे बंद करना पड़ता है।