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Railway के इतिहास के पन्नों का हिस्सा बनते जा रहे हैं Diesel Engine

इलेक्ट्रॉनिक्स इंजन के विस्तार (electronics engine) के साथ ही रेलवे में कई मंडल अब डीजल इंजनों के लिए इतिहास (History for Diesel Engines) बनते जा रहे हैं। रेलवे ने ट्रेनों को अब शत प्रतिशत विद्युतीकरण (100% electrification) करने और पूरी तरह से डीजल मुक्त करने की शुरूआत कर दी है।

New Delhi: इलेक्ट्रॉनिक्स इंजन के विस्तार (electronics engine) के साथ ही रेलवे में कई मंडल अब डीजल इंजनों के लिए इतिहास (History for Diesel Engines) बनते जा रहे हैं। रेलवे ने ट्रेनों को अब शत प्रतिशत विद्युतीकरण (100% electrification) करने और पूरी तरह से डीजल मुक्त करने की शुरूआत कर दी है। इसके तहत रेललाइन के विद्युतीकरण के साथ-साथ एयरकंडीशनर और लाईट के लिए भी डीजल की जरूर नहीं पड़ेगी। रेलवे के इसी प्रयास के तहत समस्तीपुर स्थित लोको शेड में अधिकांश डीजल इंजन अब शोभा की वस्तु बनकर रह गए हैं। हालांकि समस्तीपुर रेलमंडल में आने वाले स्टीम इंजन की तरह डीजल इंजन भी महज कुछ ही दिनों में इतिहास के पन्नों का हिस्सा बनकर रह जाएंगे।

दरअसल रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में तेल की बढ़ती कीमतों के कारण रेलवे का ये कदम और भी महत्वपूर्ण हो गया है। भारतीय रेलवे द्वारा ट्रेन के कोचों में इस परिवर्तन के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर को सालाना करीब 3,800 करोड़ रुपये से अधिक की बचत होगी। अब केवल ट्रेनों के संचालन के लिए ओवरहेड केबल्स का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन अब इस माध्यम का उपयोग ट्रेनों के अंदर प्रकाश और एयर कंडीशनिंग के लिए भी किया जाएगा। फिलहाल भारतीय रेलवे ने 1586 ट्रेनों (992 रेक) को एंड ऑन जेनरेशन (EOG) से हेड ऑन जेनरेशन (HOG) में बदल दिया है। इसी सिलसिले में बांग्लादेश को समस्तीपुर व अन्य मंडलों से कुछ डीजल इंजन को बेचा जा चुका है।

रेलवे के वरिष्ठ सरकारी अधिकारी जी.के. बंसल के अनुसार, इस कदम से कार्बन उत्सर्जन में लगभग 5.8 लाख टन प्रति वर्ष की कमी आएगी, साथ ही महंगे आयातित डीजल पर 3,854 करोड़ रुपये प्रति वर्ष की बचत होगी।

इसका कार्यान्वयन फरवरी 2022 में पूरा हुआ था। बंसल के अनुसार एचओजी प्रणाली की कुल लागत केवल 60 करोड़ रुपये थी और यह पूरी तरह से स्वदेशी है।

रेल क्षेत्र में काफी तेजी से विकास कार्य होने का नतीजा है कि रेल यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में अब कम समय लग रहे हैं। इलेक्ट्रिक इंजन एक ओर जहां पर्यावरण संरक्षण के लिए अनुकूल है, वहीं रेल यात्रियों के लिए भी काफी सुविधाजनक हो गया है। इलेक्ट्रिक इंजन की वजह से ट्रेनों के डब्बों में बिजली की सप्लाई भी इंजन के माध्यम से किया जाने लगा है, जिससे पॉवर कार पर निर्भरता खत्म हो गई है।

दिल्ली रेल मंडल भी अब पूरी तरह से डीजल मुक्त हो गया है। नोली-शामली-टपरी रेल लाइन तथा सोनीपत-गोहाना रेललाइन का विद्युतीकरण कार्य पूरा हो गया है। मुख्य संरक्षा आयुक्त ने इन दोनों रेलखंडों पर बिजली इंजन से रेल चलाने की अनुमति दे दी है। इसके साथ ही शत प्रतिशत विद्युतीकरण वाला यह उत्तर रेलवे का पहला मंडल बन गया है। इससे न सिर्फ ट्रेनों व मालगाड़ियों की रफ्तार बढ़ेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी। जल्द ही दिल्ली से सहारनपुर के बीच बिजली इंजन से ट्रेनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी।

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