नई दिल्ली।
कोलकाता पोर्ट की गिनती देश के सबसे बड़े बंदरगाह में होती है. केंद्र सरकार ने कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखने का फैसला लिया गया है. बुधवार को मोदी कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी मिली।
इस साल 25 फरवरी को हुई बैठक में कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज ने कोलकाता पोर्ट का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट रखने का प्रस्ताव रखा था. जिसे तीन जून को मंज़ूरी मिली.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोलकाता बंदरगाह की 150वीं जयंती के उद्घाटन समारोह के अवसर पर 12 जनवरी 2020 को कोलकाता बंदरगाह का नाम बदलकर जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर करने की घोषणा की थी। जिसके बाद कोलकाता बंदरगाह न्यास के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने 25 फरवरी 2020 को अपनी बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर विधिवेत्ता, शिक्षक, विचारक और जन साधारण के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी को बहुआयामी प्रतिभा के धनी के रूप में ध्यान में रखकर कोलकाता बंदरगाह को नया नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी करने की मंजूरी दे दी थी।
कोलकाता पोर्ट की गिनती देश के सबसे बड़े बंदरगाह में होती है. ये बंदरगाह ट्रस्ट द्वारा चलाया जाता है. 17 अक्टूबर, 1870 से ही ये ट्रस्ट के तहत है. कोलकाता पोर्ट को 150 साल पूरे हो चुके हैं. यह पोर्ट व्यापार, वाणिज्य और आर्थिक विकास के लिए भारत का प्रवेश द्वार रहा है. इतना ही नहीं देश की आजादी, वर्ल्ड वार और सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तनों का भी गवाह रहा है।