झारखण्ड।
शारदा कन्या मध्य विद्यालय में बाल संसद की बैठक हुई. बैठक में प्रधानमंत्री लक्ष्मी कुमारी ने अपनी स्वच्छता मंत्री मुस्कान कुमारी से स्कूल में मौजूद साबुन का हिसाब-किताब तलब किया. स्वच्छता मंत्री ने अपना रजिस्टर टटोला. तब स्कूल के साबुन बैंक में करीब 200 पीस साबुन जमा थे. बाल संसद की ये बैठक देश में कोरोना संक्रमण आने के तुरंत बाद झारखंड के पचंबा गांव में हुई।
विद्यालय में साबुन जमा रहने की बात तुरंत स्कूल के प्रधानाध्यापक अशोक कुमार मिश्र को बतायी गई. तय हुआ कि ये साबुन हरिजन टोले की उन महिलाओं के बीच बांट दिए जाएं, जिनके पास हाथ साफ करने या नहाने के लिए साबुन नहीं है. अब हरिजन टोले की सभी महिलाओं के पास साबुन है. पचंबा गांव गिरिडीह जिले का हिस्सा है और जिस स्कूल ने यह पहल की, वहां करीब 400 लड़कियां पढ़ती हैं.
कैसे बना साबुन बैंक
शारदा कन्या मध्य विद्यालय के स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष धपरु साव ने N7India को बताया कि मिड डे मील खाने से पहले साबुन से हाथ धोने का अभियान चलाया गया था. इसके लिए बड़ी मात्रा में साबुन खरीदे गए. बाल संसद की पहल पर हर छात्रा अपने जन्मदिन पर साबुन बैंक में साबुन गिफ्ट करती रही. तब स्वच्छता मंत्री को इसकी देखरेख का जिम्मा सौंप कर साबुन बैंक बनाया गया. इसमें कभी साबुन की कमी नहीं हुई.
विद्यालय के प्रधानाध्यापक अशोक मिश्र ने N7India से कहा – जब अचानक लॉकडाउन हुआ और दुकानें बंद हो गईं, तब हमारे साबुन बैंक में साबुन का अच्छा स्टॉक था. इस दौरान हमारी बच्चियों ने बचे हुए साबुन का वितरण करने की पहल की. बाल संसद की अपात बैठक बुलायी गई. इसमें सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए सभी विभागों के मंत्री शामिल हुए. हमारी बाल संसद ने साबुन बैंक में जमा साबुन जरुरतमंदों के बीच बांटने का निर्णय लिया. गांव के मुखिया और स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्यों को इस प्रस्ताव की जानकारी दी गई. इसके बाद हम लोगों ने मई के पहले सप्ताह में साबुन बांटने का काम पूरा कर लिया.
प्रधानाध्यापक ने बताया – हमने कई महिलाओं के बीच सैनेटरी पैड्स भी बांटे.
जिन्हें मिला "साबुन बैंक" से साबुन
पचंबा हरिजन टोला की सीता देवी उन महिलाओं में शामिल हैं, जिन्हें इस साबुन बैंक से साबुन मिला. अब वे अपने टोले की महिलाओं को हाथ साफ करने के लिए प्रेरित भी कर रही हैं.
सीता देवी ने N7India से कहा- लाकडाउन हुआ तब महीने का आखिरी सप्ताह था. घर का सामान लगभग खत्म हो चुका था. दुकानें बंद हुईं, तो सबसे पहले हमलोग चावल, नून (नमक), तेल, आलू का इंतजाम करने लगे. ताकि भूखे नहीं रहें. बाद में ख्याल आया कि साबुन भी नहीं है, तो बार-बार हाथ कैसे धोएंगे. मेरे टोले की महिलाएं मजबूरी में मिट्टी से हाथ साफ करने लगीं. तभी साबुन बैंक से साबुन बांटने का पता चला. तब हमलोग अपने लिए साबुन लेकर आए. अब हमें दिक्कत नहीं है.
कई जगहों पर बांटे गए साबुन
शारदा कन्या मध्य विद्यालय इकलौता ऐसा स्कूल नहीं है, जहां के बाल संसद ने गांव में जरुरतमंदों के बीच साबुन बांटा हो. यह अभियान राज्य के कई जिलों में चलाया गया है.
► बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड के स्वांग गांव में स्थित नेहरु स्मारक हाई स्कूल की बाल संसद ने भी यह अभियान चलाया है. वहां 235 लोगों के बीच साबुन और 35 महिलाओं के बीच सेनेटरी पैड्स बांटे गए हैं. इसके लिए स्कूल में ही स्टॉल लगाया गया था.
स्वांग के मुखिया धनंजय कुमार सिंह ने N7India को बताया कि स्कूल की शिक्षिकाओं पुष्पा कुमारी और तारामुनि ने उन्हें यह बात बतायी, तो वे सहर्ष तैयार हो गए. यह अनूठा काम है, जब हमारे ही बच्चों ने हमें साफ-सफाई का मतलब समझाया है. इसकी हर जगह चर्चा हो रही है. कोरोना के समय में तो यह रामबाण की तरह है, क्योंकि दुकाने बंद हैं और साबुन मिल भी नहीं रहा है.
► इसी जिले के पेटरवार प्रखंड कालोनी स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय की बाल संसद भी साबुन बांटने वालों में शामिल थी. यह काम लदमकला पंचायत के मुखिया पंकज कुमार सिंन्हा और स्कूल के शिक्षक सुभाष कुमार चव्हान की देखरेख में हुआ. स्कूल के बच्चे यहां घर-घर जाकर साबुन बांट आए.
लदमकला के मुखिया पंकज सिन्हा ने N7India को बताया कि यह अभियान आंखें खोलने वाला है. हम में से किसी को नहीं पता था कि स्कूल का साबुन बैंक इस संकट की घड़ी में गांव के लोगों के काम आएगा. लॉकडाउन टूटने पर हमलोग साबुन बैंक को फिर से भरने वाले हैं, ताकि कभी इसकी कमी नहीं हो.
► गोड्डा जिले के महागामा प्रखंड स्थित उत्क्रमित मिड्ल स्कूल, लोगाय उर्दू के हेड मास्टर मोहम्मद वलीउद्दीन राज्य के उन शिक्षकों में शामिल हैं, जो अपने प्रयोग के लिए जाने जाते हैं. पिछले साल उन्होंने स्कूल की कक्षाओं को रेल के डब्बों की तरह पेंट कराया था, ताकि बच्चों को आकर्षित किया जा सके. इस लाकडाउन में जब उन्हें मिड डे मील के बदले सूखा राशन बच्चो के घर तक पहुंचाने की जिम्मेवारी मिली, तो उन्होंने लगे हाथ बाल संसद की बैठक भी बुला ली. इसके बाद करीब 500 पीस साबुन का वितरण किया गया, क्योंकि साबुन बैंक का स्टाक अधिक था.
बात केवल गोड्डा, गिरिडीह, बोकारो जैसे जिलों की ही नहीं है. राजधानी रांची के बुंडू स्थित बालिका मध्य विद्यालय समेत राज्य भर के कई विद्यालयों की बाल संसंद ने लाकडाउऩ के दौरान अपने बैंक का स्टाक खाली कर दिया है, ताकि लोगों को संक्रमण से बचाया जा सके.
कितना असरदार है अभियान
एक गांव में औसतन 150-200 घर होते हैं. कई गांव इससे भी छोटे हैं. लेकिन, गांव बड़ा हुआ, तो घरो की संख्या अधिक हो जाती है. ऐसे में सरकारी स्कूल के बच्चों द्वारा संचालित साबुन बैंक से अगर किसी गांव में 200 या 300 पीस साबुन भी बांटे गए, तो यह करीब-करीब गांव के हर घर को कवर कर लेता है. ऐसे में इस अभियान का व्यापक असर हुआ है.
झारखंड में हैं 700 साबुन बैंक
दरअसल, स्कूलों में स्वच्छता अभियान और हैंड वॉश इनिशियेटिव के तहत झारखंड के 700 से भी अधिक प्राईमरी, मिड्ल और हाई स्कूलों में साबुन बैंक की स्थापना की गई है. यह अभियान झारखंड सरकार ने साल 2018 में यूनिसेफ के सहयोग से की थी.
यूनिसेफ के झारखंड प्रमुख डा प्रशांत दास ने N7India को बताया कि इन साबुन बैंकों से ग्रामीणों के बीच साबुन वितरण का काम स्कूलों की बाल संसद और प्रबंधन समितियों के माध्यम से कराया जा रहा है.
डा प्रशांत दास ने कहा – हमारा उद्देश्य सिर्फ इतना है कि स्वच्छता के प्रति न केवल बच्चों को बल्कि उनके अभिभावकों को भी जागरुक किया जा सके. इससे स्कूलों की उपस्थिति पर भी फर्क पड़ेगा. कोरोना संक्रमण के दौर में बाल संसदों की यह मुहिम लोगों को जागरुक करने का काम करेगी. इससे जरुरतमंद लोगों को तात्कालिक सहायता तो मिली ही है, इसके दूरगामी परिणाम निकलेंगे. हम ऐसी आशा कर सकते हैं.