
New Delhi: गेहूं के आटे का औसत मासिक खुदरा मूल्य (Average Monthly Retail Price of Wheat Flour) पिछले एक साल के दौरान 12 साल के उच्चतम स्तर 32.3 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है।

उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के मुताबिक गत साल इसका औसत खुदरा मूल्य 29.1 रुपये प्रति किलोग्राम था।
भारत में गेहूं का उत्पादन और भंडार दोनों में गिरावट (Wheat production and stock both fall) आई है, जिससे यहां गेहूं के आटे के दाम बढ़ रहे हैं। इसके अलावा रूस और यूक्रेन के युद्धरत होने के कारण विदेशी बाजारों में गेहूं की मांग भी बढ़ गई है। रूस और यूक्रेन दोनों गेहूं के बड़े उत्पादक देश हैं।
भारत में गेहूं की कीमतें 2,400 रुपये प्रति क्विंटल के करीब हैं, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक है। साल 2022-23 के कारोबारी सीजन के लिये गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,015 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।
आमतौर पर गेहूं कि कटाई का सीजन शुरू होते ही आपूर्ति बढ़ने के दबाव से मंडी में इसके दाम घट जाते हैं लेकिन इस बार पर्याप्त मांग के बीच आपूर्ति में आई गिरावट से दाम की तेजी बनी हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार, गेहूं उत्पादन वाले इलाकों में अधिक गर्मी के कारण इस बार कम फसल की संभावना जताई जा रही है। अत्यधिक गर्मी के कारण गेहूं की फसल पर बुरा असर होता है।
मुम्बई में गेहूं के आटे का खुदरा मूल्य 49 रुपये प्रति किलोग्राम, चेन्नई में 34 रुपये प्रति किलोग्राम, कोलकाता में 29 रुपये प्रति किलोग्राम और दिल्ली में 27 रुपये प्रति किलोग्राम है।
इसके अलावा ईंधन की बढ़ती कीमतों का दबाव भी गेहूं की कीमतों पर है। गेहूं के आटे के दाम में तेजी के कारण ब्रेड की कीमतों में तेज बढ़त दर्ज की गई है।