Patna: भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और देश के गृह मंत्री अमित शाह (Former BJP President and Home Minister of the country Amit Shah) की अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार पर पैनी नजर (Keeping a close eye on Bihar regarding Lok Sabha elections) है। यही कारण माना जा रहा है कि वह लगातार बिहार पहुंच रहे हैं।
सीमांचल और मिथिलांचल के बाद रविवार को शाह समाजवादियों के गढ़ माने जाने वाले मुजफ्फरपुर पहुंचे, जहां विरोधियों को कई मोर्चे पर घेर गए। बिहार में जातीय सर्वेक्षण के बाद पहली बार पहुंचे शाह ने जहां यादव और मुस्लिमों की संख्या बढ़ाने का आरोप लगाते हुए अति पिछड़ों को साधने की कोशिश की।
इस दौरान उन्होंने नीतीश कुमार पर जोरदार हमला बोलकर एक बार फिर साफ कर दिया कि उनका भाजपा के साथ आना अब आसान नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए को 40 में से 39 सीटें मिली थी। इसमें कोई शक नहीं है कि जदयू के अलग होने के बाद भाजपा को 16 सांसदों का घाटा हुआ है। ऐसे में इस घाटे को पाटने के लिए भाजपा के थिंक टैंकों की नजर बिहार के उन क्षेत्रों पर है, जहां जदयू मजबूत है।
मुजफ्फरपुर, नालंदा, मुंगेर जैसे इलाके सामजवादियों के गढ़ माने जाते हैं। फिलहाल मुजफ्फरपुर से भाजपा का सांसद है। इस सीट को भाजपा खोना नहीं चाहेगी बल्कि नालंदा और मुंगेर की सीट पर भी भाजपा की नजर है। वैसे, गौर से देखें तो पिछले लोकसभा चुनाव से अलग प्रदेश का राजनीतिक परिदृश्य होगा। भाजपा जदयू से अलग चुनाव मैदान में होगी।
शाह ने अपने संबोधन में कहा कि ‘इंडी अलायंस’ वाले नारा दे रहे हैं कि जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी। मैं नीतीश-लालू की जोड़ी को चुनौती देता हूं कि सर्वाधिक जनसंख्या वाले किसी अति पिछड़े को मुख्यमंत्री बनाकर दिखाएं।
इससे शाह ने अति पिछड़ों को साधने की कोशिश की। इस दौरान उन्होंने राम मंदिर बनाने की बातकर हिंदुत्व के एजेंडे को भी हवा दे दी है। (IANS)