चमोली।
उत्तराखंड के चमोली में रविवार को ग्लेशियर टूटने से मची तबाही (Uttarakhand Chamoli Glacier Burst) के बाद से अब तक 19 शव बरामद किए गए हैं। जबकि 202 लोग लापता बताए जा रहे हैं। Army, ITBP और SDRF की टीम रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं। जबकि संपर्क से कट गए 13 गांवों में हैलीकॉटर की मदद से राशन, दवाइयां और अन्य राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। इस बीच मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत (CM Trivendra Singh Rawat) एक बार फिर चमोली के आपदाग्रस्त इलाके का दौरे पर हैं।
सचिवालय में आपदा प्रबंधन, पुलिस, सेना, आईटीबीपी के अधिकारियों के साथ बैठक कर जोशीमठ के रेणी क्षेत्र में आई आपदा में राहत और बचाव कार्यों की स्थिति की जानकारी लेने के बाद CM ने बताया कि इस घटना में ग्लेशियर फटने जैसे स्थिति नहीं लग रही है। हालांकि घटना की वजह क्या रही है? इसको लगातार जांच की जा रही है। राहत एवं बचाव कार्यों में लगे कर्मचारियों को जरूरत का सामान और खाद्य सामग्री पहुंचाई गई है। साथ ही राहत बचाव कार्यों के लिए एसडीआरएफ मद से 20 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने निर्देश दिये हैं कि आपदा प्रभावित इलाकों का सर्वे कराया जाए और वहां एसडीआरएफ की टीमें भी तैनात की जाएं। साथ ही उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार उनके संपर्क में हैं और आज फिर से PM ने उनसे बात कर घटना की जानकारी ली है।
जायजा लेने पहुंचे केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री
आपदा प्रभावित इलाकों का दौरा करने पहुंचे केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री आर के सिंह ने बताया कि 1500 करोड़ का NTPC का प्रोजेक्ट तबाह हो गया है। इसके साथ ही उन्होंने मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजा राशि भी 20 लाख तक बढ़ाने की बात कही है। आर के सिंह ने कहा कि इस वक्त हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती सुरंग में फंसे करीब 34 लोगों को बचाना है। अभी हम सुरंग के अंदर 70 मीटर तक गए हैं और करीब 180 मीटर तक और जाना है। किस तरह से हम सुरंग से मलबा निकाले इसके लिए पदाधिकारियों के साथ बातचीत की गई है।