Girish Malviya
कोरोना काल मे मोदी सरकार यदि सिर्फ वेक्सीन को लेकर ही सही नीतियां बनाती ओर सही वक्त पर सही कदम उठाती तो भी बहुत बड़ा काम हो जाता लेकिन जिस तरह से उसने कोरोना वेक्सीन को हैंडल किया है, उसमें जैसा मिस मैनेजमेंट किया हैं वैसा विश्व में अन्यत्र कोई दूसरा उदाहरण ढूंढना असम्भव है……..
हम सभी को मालूम था कि भारत की जनसंख्या क्या है कितने प्रतिशत आबादी को वेक्सीन लगानी होगी लेकिन कोई भी सही पॉलिसी नही बनी …..ओर आज सब गुड़गोबर हुआ पड़ा है……आज 1 मई है आज 18+ वालो के लिए वेक्सीन लगना शुरू होना था पर देश के 14 बड़े राज्यों में वेक्सीन ही उपलब्ध नही है….. होगी भी कहा से !….45+ वालो के लिए बहुत जगह वेक्सीन नही मिल रही है
हम शुरू से देखते हैं जब भारत ने वेक्सीन को लेकर मोदी सरकार ने क्या गजब का मिस मैनेजमेंट किया ……अगस्त 2020 में मोदी सरकार ने आदेश निकाला कि राज्य सरकारों को अपने स्तर पर वैक्सीन की डील नही कर पाएंगे। यानी जो भी वैक्सीन खरीदी जाएगी ! जिस भी कम्पनी से खरीदी जाएगी !….. वो सिर्फ केंद्र सरकार खरीदेगी ……मोदी सरकार ने राज्य सरकारों से साफ साफ कह दिया था कि वे अपने स्तर पर वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन का भी अलग से कोई प्लान भी न बनाएं।
यह पहली बड़ी गलती थी…….विश्व मे कोई 50-60 कम्पनिया वेक्सीन नही बनाती है कुछ ही गिनी चुनी कम्पनिया वेक्सीन बनाती है , जिनके पास बड़े देश एडवांस में ऑर्डर लिखवा रहे थे लेकिन भारत ने सीरम इंस्टिट्यूट के अलावा किसी अन्य कम्पनी को कोई ऑर्डर नही दिया और न फाइजर, मॉडर्न जॉनसन एन्ड जॉनसन जैसी कम्पनी को अपने यहां ट्रायल करने के लिए प्रेरित किया और न ही उसे कोई आर्डर दिए…..
जबकि हम अच्छी तरह से जानते थे कि हम रोज 60 लाख डोज लगाने की क्षमता रखते हैं लेकिन सीरम ओर भारत बायोटेक का टोटल प्रतिदिन उत्पादन 30 लाख डोज से ज्यादा नही हो सकता है और उसे दुसरे देशो के ऑर्डर भी पूरे करने है जो उसने GAVI ओर अन्य देशों से लिये है
यह 10 साल का कोई बच्चा भी बता देगा कि थोड़े दिन तो यह अभियान सही चलता दिखाई देगा लेकिन बाद में वह लड़खड़ा जाएगा…..
45+ वालो को ही जब केंद्र सरकार ठीक से वेक्सीन उपलब्ध नही करवा पा रही थी तो उसने दो हफ्ते पहले 18+ वालो के लिए वेक्सीन रोलआउट शुरू दिया……. अब चालाकी उसने यह दिखाई कि वेक्सीन खरीदी की इस बार जिम्मेदारी उसने राज्यों पर डाल दी….उसने अब अन्य विदेशी कम्पनियो को वेक्सीन बेचने की छूट दे दी लेकिन अब बहुत देर हो गयी थी…….
वो वेक्सीन कम्पनिया अब भारत मे क्यो सप्लाई करेगी, अब वे राज्यों से कैसे ऑर्डर ले सकती है ?…..उनके पास वैसे ही एडवांस में अन्य देशों को देने के लिए करोड़ो डोज के ऑर्डर पड़े हुए हैं……
यानी जब राज्य बल्क डील करने में सक्षम थे तब तो आपने उन्हें डील करने से रोक दिया श्रेय लेने के चक्कर मे केंद्र ने सारी जिम्मेदारी अपने पर ओढ़ ली और पिछले महीने जैसे ही परिस्थिति आउट ऑफ कंट्रोल हुई वैसे आपने कहा कि अब राज्य जाने ओर वेक्सीन कम्पनिया जाने !……राज्य 18+ के लिए डोज का इंतजाम खुद करे
केंद्र ने राज्यों को यह भी साफ कह दिया है कि 45+ वाली डोज जो हमने दी है उसे आप 18+ वालो को न दे !
अब ऐसी स्थिति में सीरम ओर भारत बायोटेक ने भी अपनी वेक्सीन के भाव बढ़ा दिए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को तो हम 150 रु डोज में देंगे लेकिन राज्य सरकारों से हम प्रति डोज 300 ( सीरम ) 400 ( भारत बायोटेक ) वसूलेंगे।…….क्या केंद्र सरकार मंगल ग्रह के निवासियों के लिए डोज खरीद रही है ओर राज्य सरकार पृथ्वी ग्रह के निवासियों के लिए…..
सुप्रीम कोर्ट पूछ रहा है कि केंद्र सरकार ने 100 फीसदी कोरोना वैक्सीन खुद क्यों नहीं ली? ऐसा करने के बाद सभी राज्यों को बराबर वैक्सीन का वितरण किया जा सकता था. नेशनल इम्युनाइजेशन पॉलिसी नाम की कोई चीज है कि नही ?
यानी आप खुद ही समझिए कि क्या जबरदस्त बेवकूफियां चल रही है, हम जैसे लोग यह सब देखकर अपना माथा पीट रहे हैं लेकिन यह हिंदुस्तान है यहाँ 38 प्रतिशत कम दिमाग के लोग रहते हैं यहाँ सब चलता है.
डिसक्लेमर:ये लेखक के निजी विचार है.