पटना।
सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने आज खुद के बारे में फिर एक बड़ा बयान दिया है।
उन्होंने कहा कि इस बार मेरी जरा भी इच्छा नहीं थी मुख्यमंत्री बनने की। लेकिन मुझ पर दबाव (pressure) डाला गया तो मैंने मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण करना स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि कोई भी बने मुख्यमंत्री, किसी को भी बना दिया जाए मुख्यमंत्री, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ना है। मेरी तनिक भी इच्छा नहीं है इस पद पर बने रहने की।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक (Meeting) में ये बाते कही। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 के चुनाव के बाद उन्हें मुख्यमंत्री (cheif minister) बनने की इच्छा नहीं थी। उन्होंने भाजपा नेतृत्व के समक्ष भी यह बात रखी थी कि वे मुख्यमंत्री बनना नहीं चाहते हैं। भाजपा की ओर से ही कोई मुख्यमंत्री बने। पर, भाजपा नेतृत्व इस पर राजी नहीं हुआ और मुझे पर मुख्यमंत्री बनने का दबाव डाला गया। जदयू की बैठक के बाद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता केसी त्यागी ने प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी दी।
केसी त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार संख्या बल के नेता नहीं, बल्कि साख के नेता है। नीतीश कुमार के नेतृत्व और उनके आभामंडल को संख्या बल से जोड़ कर नहीं देखा जा सकता है। नीतीश कुमार की साख में तनिक भी कमी नहीं आई है। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में भी जदयू को पूर्व की भांति वोट मिले हैं। इस चुनाव में भी खासकर महिलाओं और उपेक्षित वर्ग, जिन्हें मुख्य धारा से अलग रखा जाता रहा है, उनका पूरा समर्थन एनडीए को मिला है।
आपको याद दिला दें कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में प्रचार के दौरान एक बार नीतीश कुमार ने एक जनसभा में यह भी कहा था कि यह मेरा आखिरी चुनाव है। उस वक्त भी राजनीति से उनके मोहभंग की झलक मिली थी। इस बार के बयान को भी जनता इसी रूप में देख रही है।