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Deoghar: NDRF की तकनीक और कोशिश हुई नाकाम तब काम आया ग्रामीणों का देसी जुगाड़, तीन दिन बाद तालाब से बरामद कर ली लाश

कहते हैं जहां तकनीक और अविष्कार काम नहीं आते वहीं, देसी जुगाड़ चुटकी में काम आसान कर जाते हैं। ऐसी ही एक तस्वीर सामने आई है रिखिया थाना इलाके के नया चितकाठ गांव से जहां, पिछले तीन दिनों तक NDRF अपनी पूरी टीम और साजो सामान के साथ एक तालाब में उतरकर पानी की गहराइयों में गोते लगती रही, पानी के भीतर ज़मीन की खाक छानती रही लेकिन, सिर्फ नाकामी और मायूसी ही हाथ लगी।

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Deoghar: कहते हैं जहां तकनीक और अविष्कार काम नहीं आते वहीं, देसी जुगाड़ चुटकी में काम आसान कर जाते हैं। ऐसी ही एक तस्वीर सामने आई है रिखिया थाना इलाके के नया चितकाठ गांव से जहां, पिछले तीन दिनों तक NDRF अपनी पूरी टीम और साजो सामान के साथ एक तालाब में उतरकर पानी की गहराइयों में गोते लगती रही, पानी के भीतर ज़मीन की खाक छानती रही लेकिन, सिर्फ नाकामी और मायूसी ही हाथ लगी।

उधर गांव के तालाब में तीन दिनों से पानी मे दफ़न लाश पूरे तालाब को खराब कर रही थी जिसे लेकर   ग्रामीणों का सब्र भी जवाब दे रहा था , वजह साफ थी, जिस तालाब में लाश डूबी थी उसके पानी से गांव की काफ़ी ज़रूरतें पूरी होती हैं लिहाजा, ग्रामीणों ने खुद ही लाश तलाशने के फैसला किया और मानव श्रृंखला की शक्ल में तालाब की गहराइयों के भीतर उतर उतर कर जिला प्रसाशन और NDRF को हकीकत का आईना दिखा दिया।

तीन दिनों से पानी मे दफ़न मजदूर का शव बाहर आते ही गांव में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। दरअसल, तीन दिन पहले नया चितकाठ गांव के इस तालाब में धनेश्वर मरीक नाम के एक मजदूर की पानी मे डूब जाने की वजह से मौत हो गई थी जिसके बाद से ही लगातार, जिला प्रसाशन और NDRF की टीम लगातार तालाब से मजदूर की लाश निकलने की कवायद में जुटी थी लेकिन, 36 घँटे बीत जाने के बाद भी जब कामयाबी हाथ नहीं मिली तब, ग्रमीणों के देसी जुगाड़ ने तमाम तकनीक और इंताज़म को किनारे कर खुद ही लाश को बरामद कर एक नज़ीर पेश कर दी।

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