देवघर: गोड्डा लोकसभा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे इन दिनों अपने संसदीय क्षेत्र में नहीं हैं। लेकिन यहां से दूर रहकर भी कोरोना काल में उपजे हालात से निपटने की तमाम व्यवस्थाएं अपने क्षेत्र की जनता के लिए कर रहे हैं।
चाहे इलाज और ऑक्सिजन की कमी हो या भोजन की परेशानी, निशिकांत दुबे ने कोरोना मरीजों व उनके परिजनों के लिए ज़रूरत अनुसार हर कमी को दूर करने की कोशिश लगातार कर रहे हैं।
जग जाहिर है कि जनप्रतिनिधियों को हर काम में समर्थन के साथ साथ विरोध का भी सामना करना पड़ता है। लेकिन जब आप अपने क्षेत्र की जनता के लिए अच्छे काम कर रहे हों और कुछ लोग उसमें भी सवाल उठाए, अपशब्द का इस्तेमाल करे तो दर्द होना लाजमी है। क्योंकि एक जनप्रतिनिधि भी पहले इंसान ही होता है। आज निशिकांत दुबे का भी दर्द छलका है। सोशल मीडिया पर लिखे गए उनके हर एक शब्द में भावनायें छिपी हैं, जो ये कह रही कि उनके भी परिवार हैं, कोरोना का साया उनके अपनो पर भी है, उन्होंने ने भी अपने किसी खास को खोया है, लेकिन सारे इमोशंस को दूर रख आपके लिए यानी जनता के लिए खड़ा हूँ।
गुरुवार की देर शाम सांसद निशिकांत दुबे ने फेसबुक वॉल पर एक इमोशनल पोस्ट लिखा है। उन्होंने लिखा है “अस्पताल,डॉक्टर,दवाई सबकुछ देख चुका हूँ,इसकी कमी के कारण मैं अपनी छोटी बहन जिसकी उम्र २३ साल थी खो चुका हूँ,इस कोरोना में पिताजी,पत्नी,छोटा भाई,उसका पूरा परिवार और बहन जो आज भी जूझ रही है,बहन का बेटा आईसीयू से बाहर आकर हमलोगों के बीच है,अपनी नानी सास की मृत्यु,दोस्त दीपक साह जी के मॉं,भाई समान केशव मोहन सहित कई लोगों को खो चुका हूँ,लेकिन अपनी लोकसभा की ज़िम्मेदारी को देखते हुए कभी कहने का प्रयास नहीं किया ।परन्तु जब डॉक्टर को मारने वाले, दूसरे का सम्पत्ति क़ब्ज़ा करने वाले, पैसा लेकर पत्रकारिता करते हुए लोगों , पैसे के लिए सामाजिक संगठन चलाने वाले लोगों की घटिया मानसिकता को देखता हूँ तो मन आहत व विचलित होता है ।लगता है कि मेरा अपना परिवार नहीं है,मैं मनुष्य नहीं,सुपर मैन हूँ ।भाई मैं भी सुख दुख झेलता हूँ ।बाबा बैद्यनाथ जी मुझे मज़बूत बनाए रखना।
सांसद निशिकांत के इस पोस्ट के बाद उनके चाहने वाले भले ही उनके दर्द को समझ रहे होंगे लेकिन बात बात पर विरोध करने वाले भी एक बार सोचने को जरूर मजबूर हो गए होंगे कि आखिर एक जनप्रतिनिधि भी पहले इंसान होता है।