रांची
झारखंड में एक मई से 18 से 45 साल के लोगों को कोरोना की वैक्सीन नहीं लग पाएगा। केंद्र सरकार के फैसले के बाद भी युवाओं को वैक्सीन लगाने का यह अभियान झारखंड में शुरू नहीं हो पाएगा। झारखंड ने भारत बायोटेक और सीरम से से 25-25 लाख टीके का ऑर्डर दिया है, लेकिन वैक्सीन निर्माता कंपनियां ने अभी वैक्सीन देने से हाथ खड़े कर दिए हैं।
झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस मे कहा है कि वैक्सीन निर्माता कंपनियों ने कहा है कि केंद्र सरकार का ऑर्डर पूरा करने में ही 15 से 20 मई तक का समय लग जाएगा। इसलिए झारखंड को एक मई तक वैक्सीन मिलना संभव नहीं है।
मंत्री ने कहा कि राज्य के पास लगभग 5.5 लाख टीका है। ये राज्य के लोगों को सेकंड डोज देने के लिए है। साथ ही केंद्र ने राज्यों को अपने कोटे के वैक्सीन का उपयोग18 से 45 वर्ष के लोगों के लिए करने से मना कर दिया है। बनना गुप्ता ने कहा की राज्य में करीब 1.57 करोड़ युवा वर्ग के लिए खुद वैक्सीन खरीदनी होगी। झारखंड ने जो ऑर्डर दिया है, उस पर करीब 200 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।
हेल्थ मिनिस्टर ने कहा कि झारखंड के साथ केंद्र सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। गुजरात को जहां जरूरत से ज्यादा रेमेडिसीवर व अन्य दवाइयां भेजी जा रही है। वहीं झारखंड को जरूरत है 4 हजार रोजाना रेमेडिसीवर का तो 9 दिन में 20 हजार इंजेक्शन दिया जाता है। वह भी समय से नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने 2 हजार रेडमेसिविर इंजेक्शन असम सरकार से उधार ली है।
हेल्थ मिनिस्टर बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। यहां 5 हजार टन ऑक्सीजन रिजर्व है। उन्होंने बताया कि यहां 18 रिफिलिंग प्लांट है। 1 प्लांट 500-600 सिलिंडर रिफिलिंग कर रहा है। ऑक्सीजन के बेड लगातार बढ़ रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए 17000 सिलेंडर खरीदने का प्रस्ताव भेजा गया है।
हेल्थ मिनिस्टर ने कहा कि झारखंड सरकार जियो और जीने दो की नीति पर काम कर रही हैं। यही कारण है कि हम बीजेपी शासित राज्यों में भी ऑक्सीजन भेज रहे हैं। अभी यूपी में 90 टन, हरियाणा में 80 टन और बिहार में 12 टन ऑक्सीजन भेजा जा रहा है।