रांची: झारखण्ड में कोरोना के मामले हर दिन तेज़ी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में व्यवस्थाओं को और भी दुरुस्त करने की ज़रूरत है। गोड्डा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर कोरोना संकट के इस दौर से निपटने के लिए सुझाव दिया है।
सांसद निशिकांत दुबे ने अपने पत्र में लिखा है कि झारखण्ड में covid-19 का संक्रमण तेज़ी से फ़ैल रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले दिनों में चीजें नियंत्रण से बाहर हो सकती है। दूसरे राज्यों से झारखंड लोग पहुँच रहे हैं। ऐसे में संक्रमित व्यक्ति से उनके परिवार संक्रमित हो सकता है, जिससे केस बढ़ सकते हैं। ऐसे में बाहर से आने वाले लोगों से ग्रामीण इलाकों में संक्रमण के बढ़ने का खतरा पैदा होने की स्थिति को नकारा नहीं जा सकता है।
निशिकांत दुबे ने इन सारी परिस्थितिओं से निपटने के लिए कई अहम सुझाव अपने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री को दिए हैं:-
- उन्होंने कहा है कि वर्तमान हेल्पलाइन फ़ोन्स लोगों के लिए पर्याप्त नहीं है। लोगों को कनेक्शन पाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है, इसलिए हेल्पलाइन की संख्या बढ़ाने की जरूरत है।
- सांसद ने कहा है कि आने वाले दिनों राज्य में बड़ी संख्या में वेंटिलेटर की जरूरत पड़ेगी। इसलिए हमें वेंटिलेटर की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। राज्य सरकार द्वारा छोटे अस्पतालों को चिन्हित कर उन्हें वेंटिलेटर लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाये और वेंटिलेटर उपलब्ध कराया जाए।
- सांसद ने मुख्यमंत्री से कहा है कि हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने की ज़रूरत है और कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए सभी निजी अस्पतालों में 50% से अधिक बेड रिजर्व किया जाये।
- MP निशिकांत दुबे ने पत्र में लिखा है कि स्वास्थ्य विभाग को हर दिन प्रत्येक अस्पताल में रेमेडिसिविर के साथ-साथ ऑक्सीजन की उपलब्धता के बारे में एक डेली बुलेटिन के साथ सामने आना चाहिए, ताकि लोगों को सही स्टेटस की जानकारी हो सके।
- सांसद ने ये भी कहा है कि जिनकी स्थिति गंभीर नहीं है, जो लोग होम आइसोलेशन में ठीक हो सकते हैं उन्हें अस्पतालों में जाने से रोका जाना चाहिए। इसके लिए सरकार को एक हेल्प डेस्क हर अस्पताल में तैयार करने की ज़रूरत है, जहां डॉक्टर्स और असिस्टेंट मरीज़ को उनकी स्थिति के बारे में बता सकें कि उन्हें अस्पताल में एडमिट होने की ज़रूरत है या नहीं।
- इसके साथ ही संबंधित वार्डों, गांवों या ब्लॉक में मरीजों के जांच की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए। अगर मरीज की स्थिति गंभीर होती है, तो ऐसे रोगियों को मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पतालों में भेजा जा सकता है. नहीं तो लोगों को उचित दवाओं के साथ घर पर रहने के लिए राजी किया जा सकता है।
- सांसद निशिकांत ने यह भी सुझाव दिया है कि कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढ़ रही है। इसलिए शवों को शवगृह में उचित रूप से रखने की व्यवस्था होनी चाहिए। श्मशान और कब्रिस्तानों को टोकन प्रणाली के माध्यम से आवंटित किया जाना चाहिए। ताकि बेवजह की भीड़ को रोका जा सके।
- सांसद का कहना है कि कोरोना से मरने वाले लोगों के शव को ले जाने के लिए नि:शुल्क एम्बुलेंस की सुविधा प्रदान करनी चाहिए। साथ ही अन्य कारणों से मरने वाले लोगों के शव ले जाने के लिए एम्बुलेंस की प्राइस फिक्स होनी चाहिए।
- उन्होंने कहा है कि ऐसा लग रहा है कि कोरोना छोटे शहरों, कस्बों और गांवों में तेजी से फैल रहा। इसलिए, सरकार को जल्द ही स्कूलों, कॉलेजों, छात्रावासों, ब्लॉक के होटलों को मेक-शिफ्ट अस्पतालों और सेट-अप अस्थायी अवसंरचना में बदलने के लिए कदम उठाना चाहिए।
- सांसद ने कहा कि आम लोगों में ये धारणा है कि जिनके पास पैसा और प्रभाव है उन्हें आसानी से सुविधायुक्त बड़े अस्पतालों में जगह मिल जा रही है। ऐसी अवधारणा को खत्म करने के लिए रोगियों को उनकी स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर ऐसे अस्पतालों में भर्ती की व्यवस्था की जानी चाहिए।
- सांसद ने ये भी कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी मिली है कि मरीज़ एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल बेड के लिए भटकते रह रहे हैं, ऐसी स्थिति से निपटने के लिए हेल्प डेस्क बनाया जाना चाहिए, जहां से मरीज़ों को सही जानकारी मिल सके।
- निशिकांत दुबे ने ये सुझाव दिया कि covid plasma की मांग की जानकारी उन्हें कई जगहों से प्राप्त हो रही है, ऐसे में राज्य सरकार को सभी ब्लड बैंक से सम्पर्क कर वैसे मरीज़ों की जानकारी इकठ्ठा करनी चाहिए जो कोविड से ठीक हो चुके हैं। साथ ही प्लाज्मा कलेक्ट करने के लिए सभी जरूरी इंतज़ाम तुरंत किया जाये।
- उन्होंने ये भी कहा है कि प्लाज्मा डोनेट करने के लिए राज्य सरकार द्वारा लोगों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।