साहेबगंज।
“चुरा लेना तुम को यह मौसम सुहाना,
खुली वादियों में अकेले न जाना….”
पिछले ज़माने के यह चर्चित गाना शायद आज भी संथाल परगना की हसीन वादियों में चरितार्थ है। ठण्ड की दस्तक के साथ गुनगुना धुप की साये से लिपटी ऐतिहासिक राजमहल पर्वत श्रंखलाओ की यह वादियों पर्यटकों को लुभाने के लिए तैयार खड़ा है।
राजमहल की पहाड़ी श्रृंखलाओं के तलहट्टी व गंगा नदी तट पर बसा साहिबगंज जिला पर्यटकों को लुभाने में कारगर है। पहाड़ियों के बीच अवस्थित नयनाभिराम बरहेट का शिवगादी, महाराजपुर का मोतिझारना, बरहरवा का विंदुधाम पर वैसे तो श्रद्धालु पर्यटकों का आवागमण बारहों माह रहता है। लेकिन दिसंबर से जनवरी में इनकी महत्ता और भी बढ़ जाती है। जिसमे बंगाल के पर्यटकों की अहम भूमिका होती है।
नए साल पर सभी सम्प्रदाय नए साल के पर्यटक इन मोनोरम दृश्य पर विशेष कर पहुचते है। वैसे तो संथाल परगना का हर क्षेत्र ही पर्यटकों को लुभाने में कारगर है। यही वजह है कि सरकार भी संथाल परगना में पर्यटन की असीम सम्भावना के मद्देनजर कारगर पहल की बात तो करती है, पर इसे आमलीजमा पहनाने में अब तक शायद कुछ ठोस कर पाई हो।
पर्यटकों के लिए बरहडवा में अनेक होटल, लॉज आदि है, बिन्दुधाम में दो पर्यटक, यात्रिका भवन के साथ अन्य भवन यात्रियों के लिए करोड़ो की लागत से बने किन्तु रख-रखाव में लाखों व्यय के बाद भी जर्जर बने हुए है।
यहाँ यात्री सुरक्षा तथा रास्ता ख़राब होने से पर्यटकों को हो रहे परशानियो से क्या सरकार वाक़िफ़ है?
गंगा तट स्थित प्राचीन राजमहल, जिसे उत्तरवैदिक युग में कजंगल के नाम से जाना जाता था और मध्य युग में अखंड वंग की राजधानी हुआ करती थी, अतीत के बहुत सारे खंडहरों को आज भी हमारे और आप के लिए सहेज रखी है।
सम्राट अकबर के समय के जामा मस्जिद और गंगा तट पर बना हुआ सिंघी दालान राजमहल की कुछ उम्दा विरासतो में से है। राजमहल पुरे झारखण्ड में इकलौता स्थान है जहाँ गंगा नदी बहती है और सालो भर शैलानियो से पटा रहता है पर ठण्ड की मौसम का कुछ अलग मजा है यहाँ।
संथाल परगना के अन्य जगहों में दुमका, देवघर, पाकुड़, गोड्डा और जामताड़ा भी अपनी नैसंगिक सुन्दरता के लिए जगजाहिर है। राजमहल पर्वत श्रृंखलाओ, सदाबहार हरे जंगलो से घिरी हुई मोनोरम वादियों और ऐतिहासिक महत्व रखने वाले स्थानों के चलते काफी संख्या में पर्यटक इस जगह आते रहते है। लेकिन ठण्ड का मौसम इन जगहों को और खुबसूरत कर देती है।
सरकार पर्यटन को बढावा देने के लिए अब तक पुरे संथाल परगना में क्या किया? यह यक्ष्य प्रश्न है?
पर तमाम असुविधाओ को नजरंदाज करते हुए पर्यटकों की भीड़ संथाल परगना के कोने-कोने तक लगा रहता है। इसलिए की यहाँ की नयनाभिराम खूबसूरत नज़ारा हर हमेशा लुभावना बना रहता है।