♦नियम कानून को ताक पर रखकर नियुक्ति, स्थानांतरण, प्रतिनियुक्ति का खेल धड़ल्ले से जारी।
♦सिविल सर्जन के सेवानिवृत्त होने में 18 दिन शेष
देवघर।
'माल महाराज का, मिर्जा खेले होली' की तर्ज पर देवघर स्वास्थ्य महकमा में सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार विभागीय नियम कानून को ताक पर रखकर देवघर जिले में स्वास्थ्य कर्मचारियों की नियुक्ति, स्थानांतरण व प्रतिनियुक्ति का खेल धड़ल्ले से जारी रखे हुए हैं.
सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार 31 दिसंबर 2020 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. लेकिन आर्थिक दोहन के लिए स्वास्थ्य कर्मचारियों का लगातार मानसिक शोषण कर रहे हैं. भारत ही नहीं पूरी दुनिया वैश्विक महामारी कोविड-19 से जूझ रही है. लेकिन, सिविल सर्जन एवं कार्यालय लिपिक अनूप कुमार वर्मा के संरक्षण में स्थानांतरण व नियुक्ति का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है. सिविल सर्जन देवघर द्वारा एएनएम के स्थानांतरण की सूचना निर्गत कर अवैध राशि की उगाही किया गया. पुनः पैसा लेकर कुछ एएनएम का स्थानांतरण मनचाहे स्थान पर किया गया. यही नहीं नियुक्ति के लिए सरकार द्वारा दिए गए समस्त निर्देशों की खुलकर अवहेलना करते हुए आवेदन के आधार पर कार्यालय आदेश द्वारा एक चालक, दो कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति मोटी राशि लेकर की गई.
विभागीय अधिकारी से लेकर सरकार से की गई है शिकायत
देवघर निवासी चंद्रशेखर खवाड़े ने स्वास्थ्य निदेशालय झारखंड के निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं एवं पालोजोरी निवासी राकेश कुमार मंडल द्वारा झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो को पत्र के माध्यम से स्वास्थ्य महासभा में चल रहा घिनौना खेल से अवगत कराया है. बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. विभाग एवं सरकार को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि विभागीय जांच में कई बार दोषी पाए गए लिपिक अनूप कुमार वर्मा के साथ सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार मिलकर सभी प्रकार के विभागीय नियम कानून को तोड़कर नियुक्ति, स्थानांतरण, प्रतिनियुक्ति के सहारे अवैध कमाई कर रहे हैं. लोकायुक्त में दायर परिवाद पर सुनवाई के बाद सिविल सर्जन देवघर की कार्यालय आदेश द्वारा स्वास्थ्य कर्मी (लिपिक) चितरंजन विश्वकर्मा का स्थानांतरण सदर अस्पताल देवघर से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मोहनपुर किया गया है. सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार के पद पर आने के बाद अपने आदेश द्वारा सदर अस्पताल देवघर में पदस्थापित लिपिक का अन्यत्र प्रतिनियुक्ति करते हुए लिपिक चितरंजन विश्वकर्मा को पुनः सदर अस्पताल का प्रभार दिलाते हुए दूसरे आदेश द्वारा मोहनपुर प्रखंड अस्पताल में लिपिक की प्रतिनियुक्ति कर दिया गया. बगैर स्थापना समिति का गठन तथा विभागीय स्तर से अनुमोदन प्राप्त किए बिना सिविल सर्जन देवघर तथा लिपिक अनूप कुमार वर्मा जुलाई 2019 से अगस्त 2020 तक अनेकों कर्मचारियों का स्थानांतरण किये हैं. स्वार्थों की पूर्ति के लिए स्थानांतरण स्थगित करने अथवा मनचाहे स्थान पर प्रतिनियुक्ति-स्थानांतरण का संशोधित आदेश जारी करते हुए कई घोटाले किए गए हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पालोजोरी में पदस्थापित लिपिक पूर्व से सदर अस्पताल देवघर में प्रतिनियुक्ति पर थे. लिपिक अनूप कुमार वर्मा, विकास कुमार अकेला से आवेदन के आधार पर उनका स्थानांतरण जून 2020 में सदर अस्पताल देवघर में कर दिया गया. सिर्फ 2 माह बाद ही विकास कुमार अकेला का पुनः स्थानांतरण अगस्त 2020 में सिविल सर्जन कार्यालय देवघर में कर दिया गया. जबकि विकास कुमार अकेला नवनियुक्त लिपिक है. लिपिक अनूप कुमार वर्मा ने सहयोग के लिए मनमाने रूप से उनका स्थानांतरण सिविल सर्जन कार्यालय देवघर में कराएं हैं.
सिविल सर्जन के संरक्षण में चल रहा है भ्रष्टाचार का गोरख धंधा
देवघर स्वास्थ्य महकमा में भ्रष्टाचार का गोरखधंधा सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार के संरक्षण में बेरोकटोक चल रहा है. भ्रष्टाचार का हालत यह है कि सदर अस्पताल देवघर में पदस्थापित एकमात्र ड्रेसर का स्थानांतरण जून 2020 में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जसीडीह में करते हुए सदर अस्पताल देवघर में पदस्थापित एक चतुर्थवर्गीय कर्मी से मोटी राशि लेकर उसे ड्रेसिंग रूम का प्रभारी कर्मचारी बनाते हुए अस्पताल में ड्रेसिंग करवाया जा रहा है.
प्रधान सचिव द्वारा भ्रष्ट चिकित्सा पदाधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई का निर्देश दिया गया है
स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग झारखंड सरकार के प्रधान सचिव डॉ नितिन कुलकर्णी द्वारा देवघर डीसी को स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत कर्तव्य एवं भ्रष्ट चिकित्सा पदाधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई का निर्देश दिया गया है. सरकार के प्रधान सचिव द्वारा 21.07.2020 को जारी पत्र में कहा गया है कि देवघर जिला निवासी अभय कुमार सिंह द्वारा सिविल सर्जन डॉक्टर विजय कुमार सिंह एवं चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रंजन सिन्हा के विरुद्ध कतिपय गंभीर प्रकृति के आरोप लगाए गए हैं. जिनकी जांच आवश्यक है. इसीलिए सभी आरोपों की जांच किसी वरीय पदाधिकारी से कराते हुए मंत्र सहित तथ्यात्मक रिपोर्ट यथाशीघ्र विभाग को उपलब्ध कराएं.
करीब 5 माह बीतने को है. लेकिन, अब तक ना तो जांच हुआ, ना ही कार्रवाई.