देवघर।
देवघर के संताल परगना चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने एलपीसी को समाप्त किये जाने को लेकर जोरदार संघर्ष और आन्दोलन का रुख किया है। संताल परगना चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज का कहना है कि झारखण्ड राज्य के एकमात्र जिले देवघर में भूमि निबंधन और म्युटेशन में जिला प्रशासन द्वारा एलपीसी (लैण्ड पोसेशन सर्टिफिकेट / भू स्वामित्व प्रमाण-पत्र) की व्यवस्था बनाई गई है जो अपने आप में असंगत जान पड़ता है।
इसी क्रम में आज फेडरेशन ऑफ झारखण्ड चैम्बर्स के संप क्षेत्रीय उपाध्यक्ष आलोक मल्लिक और संप चैम्बर के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण शर्मा के संयुक्त हस्ताक्षर से झारखण्ड सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार सचिव को वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए तथ्यपरक पत्र भेजकर देवघर में एलपीसी की व्यवस्था को यथाशीघ्र रोक लगाने की मांग की है। साथ ही सर्वेक्षित छोड़कर अन्य सभी बसौड़ी तथा सर्वेक्षित एवं पुस्तैनी जमीनों में एलपीसी की बाध्यता तत्काल प्रभाव से बन्द करने की मांग की है। पत्र की प्रति मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री को भी भेजी गई है ताकि उनके संज्ञान में भी इस व्यवस्था पर रोक लगाने की कार्रवाई आगे बढ़े। स्थानीय स्तर पर देवघर उपायुक्त को भी पत्र की एक प्रति भेजकर एलपीसी में व्याप्त अनियमितता और भ्रष्टाचार दूर करने तथा इसकी अनिवार्यता समाप्त करने की मांग की गई है।
वर्ष 2011 में देवघर के तत्कालीन उपायुक्त द्वारा भूमि निबंधन एवं दाखिल-खारिज में हुई बड़ी गड़बड़ियां उजागर होने के बाद एहतियातन निबंधन से पूर्व एक जिला स्तरीय कमिटी बनाकर उसके माध्यम से लैण्ड पोसेशन सर्टिफिकेट (एलपीसी) लेना अनिवार्य किया गया था। ये व्यवस्था उस समय सिर्फ विवादित और असर्वेक्षित जमीन (एलए) तथा अधिग्रहित बसौड़ी आदि के लिये लागू किया गया था। लेकिन जल्दी ही यह व्यवस्था भ्रष्टाचार का शिकार होने लगी और इसमें घोर अनियमितताएं सामने आने लगी। पिछले 4 वर्षों से एलपीसी निर्गत करने के लिए जिला स्तरीय समिति की नियमित बैठक नहीं की जा रही है और भीतरखाने सेटिंग-गेटिंग में एलपीसी का काम चल रहा है। सामान्य व्यापारी और आम लोगों को एलपीसी निकलवाने में नाकों चने चबाना पड़ रहा है। यह अवैधानिक एलपीसी की व्यवस्था को नियंत्रित करने और असमानता समाप्त करने के बदले इसका दायरा ही बढ़ाने का काम हो रहा है। वो भी तब जब यहां भूमि घोटाले की सीबीआई जांच चल रही है और सीबीआई ने विवादित मौजा को चिन्हित कर दिया है और उन जमीनों की खरीद-बिक्री प्रतिबंधित है। अतः विवादित जमीन चिन्हित हो जाने के बाद अन्य सभी जमीनों पर एलपीसी की व्यवस्था बन्द हो जानी चाहिये थी।
एलपीसी समाप्त करने के बदले अनियमितता की स्थिति यह है कि पहले तो सर्वेक्षित छोड़कर अन्य सभी बसौड़ी जमीन पर भी अंचलाधिकारी से एलपीसी लेने की बाध्यता की गई और अब तो सर्वेक्षित और पुस्तैनी जमीन पर भी एलपीसी की बाध्यता शुरू कर दी गई है।
संताल परगना चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के पदाधिकारियों ने कहा कि एलपीसी में अनियमितता और अघोषित घोर भ्रष्टाचार तो अब यह मनमाने दहेज जैसा भयावह रूप ले चुका है। अब तो ये दुर्दशा है कि कोई व्यापारी या उद्यमी अपने व्यवसाय की निरंतरता और नये उद्योग लगाने के लिए जमीन मॉर्गेज नहीं कर पा रहे और बैंकों से ऋण नहीं मिल पा रहा है, किसी गरीब को अपनी भूमि के विकास या ऋण आदि के लिए जरूरी दस्तावेजीकरण पूरा ही नहीं हो पा रहा जो वे कुछ नया करने की सोच सके। तो वहीं दूसरी तरफ जमीन का भाव भी अनाप-शनाप बढ़ता जा रहा है। बिल्डर्स और डेवलपर्स को नए प्लॉट नहीं मिल रहे, उनके फ्लैटों का निबंधन नहीं हो पा रहा, उनकी परियोजनाओं में अनावश्यक देर हो रही है जिससे निर्माण लागत बढ़ रहे हैं। लोग स्वयं का मकान बनाने के लिए चाह कर भी जमीन नहीं ले पा रहे, यदि येन केन प्रकारेण जमीन ले भी लिया तो म्यूटेशन आदि ससमय नहीं हो पाने के कारण न तो घर का नक्शा पास करा पा रहे न होम लोन ले पा रहे।
वैसे लोगों की दुर्दशा तो और चिंताजनक है जो अपनी गाढ़ी कमाई से छोटे भूखण्ड खरीदकर भविष्य के लिए निवेश कर रखा था। उन्हें भी बेटी की शादी, आकस्मिक आपदा-विपदा, बच्चों की पढ़ाई, अपने इष्टजनों के ईलाज आदि के लिए अपनी ही जमीन बेचने के लिए हाकिमों की चिरौरी करनी पड़ रही है। एलपीसी और इसकी प्रक्रिया में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण अनावश्यक दबाव और सही कीमत न मिलना तथा समय पर बिक्री न हो पाने का डर सभी में समाया रहता है। एलपीसी के नाम पर अघोषित खर्चों के कारण यहां जमीन की दर अप्रत्याशित रूप से बढ़ रहे हैं तथा आमजनों और जरूरतमंदों की पहुंच से दूर हो रहे हैं। इस वजह से राज्य को राजस्व की भारी क्षति भी हो रही है। ऐसे में देवघर के संताल परगना चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने एलपीसी को समाप्त किये जाने को लेकर जोरदार संघर्ष और आन्दोलन का रुख किया है।
संप चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के महासचिव संजय मालवीय ने कहा कि चैम्बर ने व्यवस्था से त्रस्त हो अब यह ठान लिया है कि एलपीसी की व्यवस्था जब तक स्थानीय उपायुक्त या सरकार द्वारा वापस नहीं लिया जाता है, तबतक आम व्यवसायियों और जनसाधारण के हित में यह आन्दोलन चरणबद्ध रूप से जारी रहेगी तथा इस आन्दोलन में अन्य प्रमुख व्यावसायिक संगठनों और सामाजिक संगठनों को साथ लिया जायेगा।