दुमका।
प्रदेश की दुमका विधानसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव को लेकर चल रही इलेक्शन कैंपेनिंग हर क्षण नया मोड़ लेती जा रही है। इस क्रम में गोड्डा संसदीय इलाके से तीसरी बार सांसद बने निशिकांत दुबे के आरोपों झारखंड मुक्ति मोर्चा को कथित तौर पर और असहज कर दिया है।
दरअसल श्री दुबे ने खुले तौर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चुनौती दे डाली है। बकौल दुबे सोरेन एक तय अवधि में अपनी मौजूदगी और कॉल डिटेल से जुड़े डाटा सार्वजनिक नहीं कर पाएंगे। दुबे ने यह भी आरोप लगाया कि अगर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ऐसा करते हैं तो वह राजनीति से सन्यास तक ले लेंगे।
हालांकि, निशिकांत दुबे के इन आरोपों के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा की तरफ से भी प्रत्यारोप लगे हैं लेकिन मामला उन सवालों से इतर है जिन्हें बीजेपी सांसद ने उठाया। स्थानीय लोगों की माने तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बीजेपी के सांसद के इन आरोपों का प्रत्यक्ष जवाब देना चाहिए। इन सवालों को लेकर मुख्यमंत्री या उनके खेमे में ख़ामोशी 3 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के ऊपर असर भी डाल सकती है
बता दें कि पिछले दिनों बीजेपी सांसद ने मुख्यमंत्री सोरेन पर राजनीतिक हमला करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर उनके खिलाफ आरोपों की झड़ी लगा दी थी। उन आरोपों में मुंबई की एक घटना का भी जिक्र किया गया जिसको लेकर प्रदेश की राजनीति में काफी चर्चाएं तेज हुई थी। इस विषय पर झारखंड मुक्ति मोर्चा फिलहाल खामोश है। हालांकि पार्टी का साफ तौर पर कहना है कि उपचुनाव में आरोप-प्रत्यारोप लगते रहते हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं लिखने की शर्त पर कहा कि 3 तारीख को होने वाले मतदान में बीजेपी को करारा जवाब मिल जाएगा।
दरअसल यह उपचुनाव मुख्यमंत्री सोरेन के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि भाई बसंत सोरेन की उम्मीदवारी के समर्थन में एक तरफ जहां मुख्यमंत्री खुद चुनावी कैंपेन में जुटे हैं वहीं उनके पिता और दुमका के पूर्व सांसद शिबू सोरेन भी दुमका कैंप कर रहे हैं। दूसरी तरफ बीजेपी की उम्मीदवार और राज्य के पूर्व मंत्री लुईस मरांडी के पक्ष में भी पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है।