रांची।
झारखंड के 12 नक्सल प्रभावित जिलों के 2200 से ज्यादा सहायक पुलिसकर्मी पिछले तीन दिनों से रांची में आंदोलन कर रहे हैं. ये लोग सीधी नियुक्ति की मांग कर रहे हैं.
रांची के मोरहाबादी मैदान में तीन दिनों से जमे सहायक पुलिसकर्मी सोमवार को राजभवन और मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने निकले. लेकिन इन्हें पुलिस ने रास्ते में ही रोक दिया. जिसके बाद ये सभी प्रदर्शनकारी सहायक पुलिसकर्मी सड़क पर ही बैठ गए और अपनी मांगों को पूरा करने कि मांग की. प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी. पुलिस अधिकारियों द्वारा उच्च अधिकारियों तक उनकी मांग को पहुंचाने का भरोसा देने के बाद सहायक पुलिसकर्मी मोरहाबादी मैदान वापस लौट गये, लेकिन मांग पूरी होने तक आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया.
आंदोलनकारी सहायक पुलिसकर्मियों में बड़ी संख्या में महिला जवान भी शामिल हैं. इनका कहना है कि 10 हजार की मेहनताना पर तीन साल तक झारखण्ड पुलिस के लिए काम किया. नक्सलियों के खिलाफ अभियान में सहायक बने. अब अगर नौकरी नहीं रहेगी तो घर परिवार चलाना तो मुश्किल होगा ही साथ ही वर्दी नहीं रहने पर अपने गांव में भी रहने लायक नहीं रहेंगे. क्योंकि पुलिस में काम करने के चलते नक्सली उन्हें कभी भी निशाना बना सकते हैं.
आंदोलनकारी सहायक पुलिसकर्मियों का कहना है कि पूर्व की रघुवर सरकार ने उन्हें अनुबंध पर नियुक्त किया था और तीन सालों की सेवा के बाद सीधी नियुक्ति का आश्वासन दिया था. लेकिन वर्तमान की हेमंत सरकार सीधी नियुक्ति की जगह उन्हें नौकरी से हटाने पर विचार कर रही है. जिसका वे सभी विरोध कर रहे हैं.
पूर्व की रघुवर सरकार में अनुबंध पर बहाल किये गए राज्यभर के 2269 सहायक पुलिसकर्मियों का तीन साल का अनुबंध अगस्त महीने में ही समाप्त हो गया है. लेकिन इसके बाद भी ये लोग विधि व्यवस्था में अपना सहयोग दे रहे थे. अब इनकी नौकरी को लेकर सरकार द्वारा समीक्षा की जा रही है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए सहायक पुलिसकर्मी फायदेमंद हैं या नहीं. इसी को लेकर पुलिस मुख्यालय ने एक पत्र जारी किया था. जिसके बाद से सहायक पुलिसकर्मियों का आक्रोश देखा जा रहा है.